सिवनी। साधु-संत समाज ने हमेशा से ही सनातन धर्म की रक्षा और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आज भी सतत रूप से प्रयास जारी है। साधु-संत समाज के त्याग, तपस्या और ज्ञान से लोगों को सनातन धर्म के मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानने और समझने का अवसर मिलता है। उक्ताशय की बात कैवल्यानंद ब्रह्मचारी ने रविवार को श्री राम नगर, सिध्दीविनायक लॉन के पीछे ग्राम खैरीटेक में श्रद्धालुजनों से कहीं।
उन्होंने आगे कहा कि साधु-संत समाज ने हमेशा से ही समाज में शांति, सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने के लिए काम किया है। उनकी बातों को आत्मसात करते हुए सभी को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
साधु संतों ने हमेशा से ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम किया है।
कैवल्यानंद ब्रह्मचारी सोमवार को झोतेश्वर के लिए रवाना हुए जहां वे 11 दिसंबर को नरसिंहपुर में झोतेश्वर के परमहंसी गंगा आश्रम में ब्रह्मलीन दो पीठों के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के समाधि स्थल मंदिर का लोकार्पण दो पीठों के जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारका- शारदा पीठाधीश्वर सदानंद सरस्वती एवं ज्योतिषपीठाधीश्वर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की उपस्थिति में किया जाएगा। समाधि स्थल पर मंदिर निर्माण की लागत करीब ढाई करोड़ रुपए आई है। दक्षिण भारत के मंदिरों की शैली में करीब 5000 वर्गफीट की भूमि पर समाधि मंदिर बना है। महाराज जी की मूर्ति का लोकार्पण 11 दिसंबर को गीता जयंती पर होना है। मूर्ति जयपुर से आई है।
साथ ही मंदिर में शारदापीठ से 51 किलो वजनी एक स्फटिक शिवलिंग आया है। यहां देश भर के साधु संतों का समागम होगा ब्रह्मचारी कैवल्यानंद ने जिलेवासियों से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर धर्म लाभ लेने की बात कही है।
इससे पहले ब्रह्मचारी जी पैतृक ग्राम कामेश्वर (कमकासुर) में नवनिर्मित मंदिर में श्रीमद् जगद्गुरू शंकराचार्य द्विपीठाधीश्वर ब्रम्हलीन स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज व सदाशिव भगवान की प्राण प्रतिष्ठा एवं स्वर्गवासी पूज्य माताश्री फूलमती देवी व पूज्य पिता पंडित श्री मनीराम द्विवेदी जी की मूर्ति की स्थापना करने ग्राम कामेश्वर (कमकासुर) पहुंचे थे। ब्रम्हचारी श्री कैवल्यानंद जी की गरिमामयी उपस्थिति में मूर्ति का अनावरण किए।
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