लोक जीवन के सबसे बड़े कथागायक हैं रेणु
सिवनी। हिंदी साहित्य में ऑंचलिकता को स्थापित करने वाले महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की 103 वीं जयंती पर पीजी काॅलेज में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में वक्तव्य के माध्यम से विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने रेणु के अवदान को याद किया।
हिंदी विभाग के प्रेमचंद कक्ष में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत में फणीश्वरनाथ रेणु के छायाचित्र पर हिंदी परिषद् के छात्र पदाधिकारियों , शिक्षकों और प्राध्यापकों ने पुष्प अर्पित किये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभाग की अध्यक्ष डाॅ. सविता मसीह ने कहा कि आज भी रेणु लोकप्रिय साहित्यकार हैं। रेणु की रचनाएँ शोषण और जातिवाद के खिलाफ हैं। कहा कि कोसी नदी के अकाल और बाढ़ पर केंद्रित ‘ऋण जल धन जल’ जैसी रचना ज़रूर पढ़ना चाहिए।
बतौर विशेष वक्ता प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि रेणु हिंदी और विश्व साहित्य के महान रचनाकार हैं। रेणु भारतीय लोक जीवन के सबसे बड़े कथा गायक हैं। शब्दों के जादूगर रेणु ने गाँव-ज्वार की आम बोलचाल की भाषा को साहित्य-सृजन की भाषा बनाकर ऑंचलिकता को स्थापित किया। लोक जीवन रेणु के साहित्य में धड़कता है। बताया कि 1950 की नेपाल की जनक्रांति और 1974 के जे.पी. आंदोलन के कर्णधारों में उनका नाम अग्रगण्य है। कहा कि जब तक भारत माँ का मैला आँचल भारतीय जनमानस को आंदोलित करता रहेगा, रेणु भी याद आते रहेंगे।
प्राचार्य डाॅ रविशंकर नाग ने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु का दाय और देन बहुत बड़ा है। आंचलिक उपन्यास ‘मैला आँचल’ हिंदी की विरासत है। लाल पान की बेगम, ठेस जैसी अमर कहानियों के साथ तीसरी कसम उर्फ मारे गए गुलफ़ाम कहानी ज़रूर पढ़ना चाहिए। इस कहानी पर राज कपूर और वहीदा रहमान अभिनीत क्लासिक फिल्म भी बनी।
जनभागीदारी शिक्षक अमितोष सनोडिया, छाया राय, डाॅ सुनीता साकेत तथा शिव कुमार यादव ने रेणु के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।
आयोजन में एल्युमनी शिव कुमार यादव का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक अमितोष सनोडिया ने किया।
कार्यक्रम में जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष अजय बाबा पांडेय, स्नातकोत्तर हिंदी परिषद् के पदाधिकारी अंबिका मिश्रा, आशुतोष हनुमंते, मयंक सेन सहित बड़ी संख्या में छात्र छात्राएँ और काॅलेज स्टाफ मौजूद रहे।
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