सिवनी। श्री पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मन्दिर सिवनी मध्य प्रदेश में विराजमान महासमाधि धारक परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित एवं परम पूज्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य
मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज
मुनि श्री भाव सागर जी महाराज के सान्निध्य में 4 नवंबर 2025 को नंदीश्वर विधान के अंतर्गत मांगलिक क्रियाएं संपन्न की गई।
मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज के कैशलोंच संपन्न हुए,इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए
मुनिश्री भावसागर जी महाराज ने कहा कि पैदल चलनें से मानसिक संतुलन ठीक रहता है, नींद अच्छी आती है,
शुगर कंट्रोल होती है,चिड़चिड़ापन कम होता है,मोटापा नियंत्रित रहता है,
फेफडे मजबूत होते हैं,
हार्ट सही कार्य करता है भोजन पचता है,गैस नहीं बनती,थकान दूर होती है,खून शुद्ध होता है,बुद्धि तेज होती है,
हड्डियां मजबूत होती है, आत्मविश्वास बढता है, बल बढता है, त्वचा रोग नहीं होते, वात पित कफ नियंत्रण में रहते हैं,भोजन के पश्चात् नित्य 300 कदम पैदल चलने से पेट के रोग नहीं होते और मनुष्य की आयु बढ़ती है,
पत्थरों पर नंगे पांव चलने से शरीर में रक्त सुचारू रूप से संतुलित होता है,
पैरों के तलवे में रक्त को परिसंचरण करने के लिए सूक्ष्म पम्प होते हैं जिससे रक्त शरीर के हर अंग में जाता है,सूर्य के प्रकाश में नित्य एक घंटा पैदल चलने से डाइबिटीज नहीं होती,
ऋषि- मुनियों का सबसे बड़ा योग पैदल चलना है। भगवानश्रीराम 14 वर्ष लक्ष्मण के साथ वनों में पैदल घूमें, पांडवों ने जीवन पर्यन्त पैदल चलकर अनेक सिद्धियां प्राप्त की थी,पैदल चलें खूब चलें और रात्रि को पैरों की मालिश अवश्य करें,पैदल चलने वालों की इच्छा शक्ति बलवती होती है,पैर ईश्वर ने पैदल चलने के लिए ही दिए हैं, पैदल चलते रहने से सभी जंगली जीव अनेक रोगों से बचे रहते हैं,पक्षियों के पूरे शरीर में जो महत्व पंखों का है, वहीं पैरों का महत्व शरीर के लिए है,पैदल चलने से शरीर गर्म रहता है,पैदल चलते रहने से बहुत से लोग बड़े बड़े विचारक और दार्शनिक बन गये,पैदल चलना ही जीवन है,पैदल चलें चलते रहें और सबको चलाते रहे।

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