प्रिंसिपल पर प्रताड़ना की लगाए गंभीर आरोप
सिवनी/ छपारा। जिले के छपारा विकासखंड के भीमगढ माध्यमिक स्कूल में पदस्थ शिक्षक राज नारायण तिवारी ने हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल पर BLO के काम का दबाव बनाने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए खुद को आग के हवाले कर लिया। जिन्हें गंभीर हालत में छपारा अस्पताल में लाकर भर्ती कर, जिला अस्पताल सिवनी व यहां से उन्हें नागपुर उपचार के लिए ले जाया गया है।

जहां घटना की जांच में छपारा पुलिस जुटी है। वही तहसीलदार ने पहुंचकर शिक्षक के बयान भी दर्ज किए हैं।
स्कूलों के शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अलावा भी शासन-प्रशासन तरह-तरह के काम ले रही है। हालात ये हैं कि काम के बढ़ते बोझ और अधिकारियों की लगातार कार्रवाई की चेतावनी से शिक्षक तनाव में हैं। सोमवार को भीमगढ़ के शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल में प्राचार्य और शिक्षक के बीच बीएलओ के काम को लेकर हुए विवाद के बाद तनाव में आए शिक्षक ने खुद को आग के हवाले कर दिया।
इस घटना के बाद जिले में शिक्षकों के बीच शिक्षकीय और गैर-शिक्षकीय कार्य कराए जाने को लेकर बहस छिड़ गई है। बता दें कि छपारा विकासखंड के भीमगढ़ हायर सेकंडरी स्कूल में सोमवार शाम चार बजे उस वक्त हड़कंप मच गया, जब वहां के माध्यमिक शाला में पदस्थ शिक्षक राज नारायण तिवारी स्कूल मैदान में आग से धधकते हुए नजर आए। उन्होंने अपने आप को बचाने के लिए भृत्य को आवाज दिया, तब उसने दौड़कर अपने गमछे की मदद से आग को काबू करने की कोशिश की। इसके बाद चीख-पुकार सुनकर अन्य कक्षों में मौजूद शिक्षक निकलकर आए और उन्हें बचाने की कोशिश की गई। पानी डाला गया, जैसे-तैसे आग बुझाकर झुलसे शिक्षक को छपारा अस्पताल लाया गया, जहां उनका प्राथमिक उपचार शुरु हुआ। जानकारी पाकर नायब तहसीलदार रामसेवक कौल और पुलिस ने अस्पताल पहुंचकर बयान दर्ज किए हैं। शिक्षक की गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला अस्पताल सिवनी रेफर किया गया है।
शिक्षक ने प्राचार्य पर आरोप लगाए हैं कि बीएलओ के काम के लिए चेंबर में बुलाकर दबाव बनाया जा रहा था। वहीं शिक्षक के छोटे भाई अधिवक्ता आनंद नारायण तिवारी ने बताया कि शिक्षक तिवारी कई दिनों से प्राचार्य की प्रताड़ना की बात कर रहे थे। फिलहाल छपारा पुलिस इस घटना की जांच कर रही है। आग कैसे लगी, इसकी जांच की जा रही है। शिक्षक के भाई ने बताया कि के राष्ट्रीय जनगणना में भी सराहनीय सहयोग के लिए शिक्षक को पूर्व में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है, वे कार्य के प्रति समर्पित रहे हैं, लेकिन जिस तरीके से उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था, उससे परेशान होकर उन्होंने इस तरीके का कदम उठाया है, फिलहाल पुलिस इस मामले के हर पहलुओं की जांच में जुटी है।
इस मामले में प्राचार्य राकेश डहेरिया का कहना है कि मैंने शिक्षक से कुछ कहा ही नहीं है। जो काम के प्रति लापरवाह हैं, मैं उनसे बात ही नहीं करता हूं। जो भी घटनाक्रम हुआ है, उसमें सभी पक्षों को निष्पक्षता से सुना जाना चाहिए। बहरहाल इस पूरे घटनाक्रम ने जिले में शिक्षकों में बड़ी बहस छेड़ दी है। हालांकि शासकीय कार्य आदेश के विरोध में कोई भी खुलकर बोलने की स्थिति में नहीं है।
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