सिवनी। मन ही सब कुछ है मन की अनुकूलता और प्रतिकूलता पर ही आपके विचारों और आपका जीवन निर्भर होता है। इसलिए हमें अपने मन को नियंत्रण करना चाहिए। उक्ताशय की बात ग्राम हथनापुर के टिघरी मोहल्ला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को कथा व्यास पं. प्रेमकृष्ण शास्त्री ने श्रद्धालुजनों से कहीं।
कथा व्यास प्रेमकृष्ण शास्त्री ने कहा कि जब-जब अत्याचार, अनाचार व अन्याय बढा है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। अत्याचार को समाप्त कर धर्म की स्थापना को लेकर ही प्रभु का अलग-अलग रूपों में अवतार होता है।
कथावाचक ने कहा कि जीवन में अच्छे रास्ते पर जाना है, तो संकल्प लेना जरूरी है। हर बच्चे को अपने माता-पिता व गुरू की बातों को मानना चाहिए। जिन बच्चों के उपर माता-पिता का आशीर्वाद है, उन्हें संसार में सब कुछ प्राप्त है। हर एक माता-पिता को चाहिए कि अपने साथ बच्चों को भागवत कथा, सत्संग, कीर्तन में जरूर साथ लाएं। धर्म की कथा सुनने से बच्चों में अच्छी संस्कार आती है।
परायणकर्ता व्यास आचार्य पं. सनतकुमार उपाध्याय द्वारका धाम ने कहा कि प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है।



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