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1 Dec 2025, Mon

जहां धर्म है वहां कृष्ण है जहां कृष्ण है वहां विजय है : ब्रम्हचारी निर्विकल्प स्वरूप

सिवनी/केवलारी। समीपस्थ ग्राम सांरेखा मे आयोजित सार्वजनिक श्रीमद्भागवत गीता ज्ञान कथा 29 फरवरी 2024 से खैरमाई मन्दिर मे गीता मनीषी वैणूगंगा परिक्रमा बासी ब्रम्हचारी-श्री निर्विकल्प स्वरूप जी महाराज  के मुखारविंद से दोपहर 3 वजे से प्रतिदिन चल रही है।कथा के चोथे दिवस 8 वे स्कंद गजेंद्र मोक्ष,समुद्र मंथन ,बामन अवतार -बलि मोक्ष, कृष्ण अवतार का वर्णन किया ।समुद्र मंथन मे निकले रत्नो की उत्पत्ति बताते हुए कहा कि —
लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुराधन्वन्तरिश्चन्द्रमाः।
गावः कामदुहा सुरेश्वरगजो रम्भादिदेवांगनाः।
अश्वः सप्तमुखो विषं हरिधनुः शंखोमृतं चाम्बुधेः।
रत्नानीह चतुर्दश प्रतिदिनं कुर्यात्सदा मंगलम्।
कालकूट ( हलाहल)ऐरावत कामधेनु उच्चैःश्रवा
कौस्तुभ एवं पद्मराग मणि कल्पवृक्ष रम्भा नामक अप्सरा
महालक्ष्मी वारुणी मदिरा चन्द्रमा शारंग धनुष पांचजन्य शंख धन्वन्तरि अमृत अन्य पुराणों के अनुसार इनके अतिरिक्त और चार रत्न भी हैं:-निद्रा देवी माताअदिति के कुण्डल वरुणदेवता का छत्र देवी अलक्ष्मी समुद्र से निकली।

वामन अवतार पर बताया कि असुरों के राजा बलि ने देवताओं को युद्ध में पराजित कर दिया था और स्वर्ग अपने कब्जे में ले लिया था। बलि की वजह से सभी देवता बहुत दुखी थे। दुखी देवता अपनी माता अदिति के पास पहुंचे और अपनी समस्या बताई। इसके बाद अदिति ने पति कश्यप ऋषि के कहने पर एक व्रत किया, जिसके शुभ फल से भगवान विष्णु ने वामन देव के रूप में जन्म लिया।ओर राजा बलि से दान मे तीन पग जमीन लेकर तीनो लोको से मुक्त कर सुतक लोक भेज दिया। बहुत प्रयत्न जतन के बाद राम राज्य आता है।

भगवान -श्री राम का आगमन ऐसे ही नही हुआ साढे पांच सौ बर्षो की त्याग तपस्या वलिदान से अयोध्या मे राम आये है,हमे हिन्दू राज्य नही रामराज्य चाहिए। जिसमे दुख ना हो सब एक समान हो चहुं ओर धर्म हो ,सत्य हो ।श्री मद्भागवत कथा तीन लोगों को पवित्र करती हे कथा करवाने बाले को ,कथा करने बाले को ओर कथा सुनने बाले को-पवित्र करती हे ।

पूज्य ब्रह्मचारी श्री निर्विकल्प स्वरूप जी ने आज दिनांक 3 मार्च को कथा में बताया कि परम सत्य ही श्री कृष्ण भगवान हैं कृष्ण गोकुल में अपने अर्थ को पूर्ण करने आए थे ग्वाल वालोंवालों, गोपियों, यशोदा माता, नंद बाबा सभी को सुख देने के लिए श्री कृष्ण ने अवतार लिया सब कुछ कृष्णमय है।

भगवान की लीला समझना कठिन है।महाराज श्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण या कथा स्थल पर आकर कथा सुनने मात्र से ही मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान से बड़ा भगवान का नाम है, भगवान की कथा जहां भी सुनने को मिले सभी को कुछ समय निकालकर कथा श्रवण अवश्य करना चाहिए।

भगवान श्री कृष्ण के प्रति जिसकी भक्ति रहेगी उसे उतना ही सुख मिलेगा। अब अवसाद दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि पूरे मनोयोग के साथ कथा श्रवण मात्र से मनुष्य के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हो सकते हैं श्रीमद् भागवत कथा कलयुग में जीवन को कलात्मक ढंग से जीने का मार्ग प्रशस्त करती है।

सांरेखा मे आयोजित सार्वजनिक श्रीमद्भागवत गीता ज्ञान कथा मे हजारों जनसमुदाय को प्रतिदिन महाराज श्री बड़े प्रेरणास्रोत सुंदर शब्दाबली श्लोको से कथा श्रवण कराकर लोगों को सम्मोहित कर रहे है। गीता पराभाक्ति मंडल सिवनी के द्वारा गीता पाठ किया गया। कथा मे आज डा अविनाश तिवारी केवलारी-पंडित दमोदर शुक्ला, बलराम तिवारी सिवनी, जयंत मिश्रा रायपुर, विहारी लाल दुबे पांजरा, चोखेलाल अवस्थी, प्रशांत मोनू तिवारी पार्षद केवलारी-, देवीसिंह बघेल मलारा, मीडिया के प्रमुख रमाशंकर महोबिया, रफीक खान, स्वप्निल उपाध्याय, पवन बघेल, हीरामन तिवारी सिवनी ने कथा श्रावण करने का सौभाग्य प्राप्त किया।

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