मध्य प्रदेश शिक्षा सिवनी

पुस्तकालय से होता है राष्ट्र और समाज का निर्माण- ग्रंथपाल अहिरवार

पुस्तकालय विज्ञान के जनक एस आर  रंगनाथन की  जयंती का हुआ आयोजन

सिवनी। भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक एस आर रंगनाथन की 131 वीं जयंती पर पीजी काॅलेज के पुस्तकालय विभाग में  प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने रंगनाथन को याद किया और उनक योगदान  पर अपने विचार साझा किये। कार्यक्रम के प्रारंभ में  प्राचार्य डाॅ रविशंकर नाग और उपस्थित  प्राध्यापकों ने सीआर रंगनाथन  के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।

कार्यक्रम के संयोजक और पीजी काॅलेज के लाइब्रेरियन सीएल अहिरवार ने  आयोजन की  शुरुआत करते हुए अपने वक्तव्य में बताया कि
भारत में पुस्तकालय विज्ञान की विधिवत् शुरुआत डाॅ सीआर रंगनाथन ने की। बताया कि गणित के प्रोफेसर रंगनाथन ने पुस्तकालय विज्ञान  को भारत  में  लोकप्रिय बनाने में अहम् भूमिका निभाई। कहा कि राष्ट्र और समाज के निर्माण में पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

विशेष वक्ता के रूप में प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि पुस्तकें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होतीं हैं। बताया कि रंगनाथन के पाँच नियम पुस्तकालय विज्ञान की दुनिया में काफी प्रसिद्ध हैं।

कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं प्राचार्य डाॅ रविशंकर नाग ने कहा कि हम जीवन में जो भी बन पाते हैं,  वह पुस्तकों की ही देन है। पुस्तक से हम अपना जीवन सँवारते हैं। हर शैक्षिक संस्थान के लिए पुस्तकालयकी अनिवार्यता पर जोर दिया।

कौन हैं सीआर रंगनाथन मद्रास प्रांत के सियाली गाँव में 12 अगस्त 1892 को जन्मे सीआर रंगनाथन गणित के प्रोफेसर थे। मद्रास विश्वविद्यालय के वे पहले लाइब्रेरियन थे। उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पुस्तकालय विज्ञान का गहन अध्ययन किया। बाद में,  उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का भी लाइब्रेरियन नियुक्त किया गया। पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से पुरस्कृत  किया।

काॅलेज के एल्युमनी क्रेश कुमार सनोडिया ने एसआर रंगनाथन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। क्रेश ने बताया कि रंगनाथन ने कहा था कि ईश्वर की देन के रूप में मेरा जीवन पुस्तकालय विज्ञान के साधन को विकसित कर युवाओं के लिए काम आएगा। बताया कि रंगनाथन को पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय और दिल्ली यूनिवर्सिटी ने डीलिट्  की उपाधि प्रदान की थी।
विधि महाविद्यालय के लाइब्रेरियन शंभू शंकर सोनी ने बताया कि एस आर रंगनाथन के प्रयासों से लाइब्रेरी साइंस की पढाई शुरू हुई।  आज अनगिनत लोग लाइब्रेरी साइंस की पढाई कर सफल कैरियर बना रहें हैं।
अर्थशास्त्र  विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ अरविंद चौरसिया ने भी रंगनाथन के योगदान पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम को सफल बनाने में कमल ब्रह्मवंशी, भगीरथ, बिंदु विश्वकर्मा आदि का सराहनीय योगदान रहा।
कार्यक्रम में  डाॅ मुन्नालाल चौधरी, डाॅ. ज्योत्स्ना नावकर, डाॅ सविता मसीह,  डाॅ सीमा भास्कर,  डाॅ लीडिया कुमरे  तथा अन्य शिक्षकों  सहित स्नातक  तथा पीजी कक्षाओं  के विद्यार्थी मौजूद रहे।

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