सिवनी। जिले के कुछ गांव ऐसे हैं जहां शाम होते ही महिलाएं अपने-अपने घरों में नन्हे बच्चों को लेकर पहुंच जाती है। इससे पहले गांव में जहां शाम को और रात तक गांव की महिलाएं बच्चे घर आंगन में खेलते कूदते थे। गांव के बाहर निश्चिंत होकर चले जाते थे। अब वह स्थिति यहां देखने को नहीं मिल रही है। जिला मुख्यालय से लगभग 6 किलोमीटर दूर बाम्हनदेही गांव के लोग बीते एक पखवाड़े से बाघ की दहशत से सहमे हुए हैं। करीब 15 दिन पहले बाघ गांव के आबादी क्षेत्र में आ गया था। इतना ही नहीं बाघ ने घर के पास बंधी एक बछिया का भी शिकार किया था। इसके बाद से गांव में दहशत का माहौल बरकरार है।
गांव के लोगों ने बताया कि 15 दिन पहले शाम करीब 5.30 बजे गांव से लगे जंगल से बाघ आबादी क्षेत्र के पास आ गया था। घर के पास बंधी बछिया को जब वह शिकार कर ले जा रहा था, तब गांव के चरवाहे मोतीलाल उइके व अन्य गांव वालों ने बाघ्ा को देख कर उसे भगाने का प्रयास किया। इसके बाद भी बाघ बछिया को लेकर जंगल की ओर भाग गया। इसके पहले भी बाघ ने गांव में एक गाय का शिकार किया था। इस घटना के बाद से गांव के लोग सहमे हुए हैं। गांव की लीलाबाई, श्यामवती बाई, सरवंती मर्सकोले, निर्मला काकोड़िया, शिवकली काकोड़िया, श्यामवती मर्सकोले व गांव के कोटवार मेहताब उइके ने बताया है कि बाघ द्वारा बछिया का शिकार किए जाने की सूचना अधिकारियों को दी गई। उसके बाद वन अमले ने केवल गांव में आकर घटनास्थल की फोटो लेकर गांव का मुआयना किया था। उसके बाद से वन विभाग का अमला गांव में नहीं आया है।
शाम होते ही घर में कैद हो जाते है ग्रामीण- मुख्यालय से तकरीबन 6 किलोमीटर दूर बाम्हनदेही गांव के लोग शाम होने के बाद अंधेरा होते ही अपने घरों में कैद होने के लिए मजबूर हो गए हैं। ग्रामीण मवेशी चराने जंगल जान जोखिम में डालकर जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव से लगे जंगल में बाघ की दस्तक के कारण जनजीवन प्रभावित हो रहा है। इधर वन विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि ग्रामीणों को जंगल नहीं जाने की सलाह दी गई है। साथ ही रात होने पर घर से अकेले नहीं निकलने कहा गया है।
गावं की महिलाओं ने बताया है कि जब से बाघ उनकी आंखों के सामने से बछिया को शिकार कर ले गया है, तब से गांव की जीवशैली बदल गई है। हालात यह हैं कि वे अपने बच्चों को नजरों से दूर नहीं जाने दे रही है। छोटे बच्चों को अकेले खेलने व घर से दूर जाने के लिए मना कर दिया है, ताकि कोई अनहोनी न हो। उनका गांव घने जंगल से लगा हुआ है ऐसे में बाघ दोबारा आकर शिकार कर सकता है, इसी बात की दहशत से गांव के लोग डरे-सहमे हैं।
पिछले माह मुख्यालय से लगे कंडीपार, कोहका व छिड़िया गांव में भी बाघ के लगातार मूवमेंट होने से इन गांव के लोगों में दहशत थी। इस क्षेत्र में भी बाघ ने मवेसियों का श्ािकार किया था। इसके बाद से वन विभाग का अमला बाघ के मूवमेंट पर नजर रख रहा है।
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