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22 Dec 2025, Mon

वृद्धा आश्रम में कृष्ण जन्मोत्सव पर वृद्धों की भर आईं आंखें, भागवत कथा सुनने के साथ उसकी शिक्षाओं पर भी जीवन में करें आत्मसात : पं. नीलेश शास्त्री

https://youtu.be/oARbGnrRD2o

सिवनी। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रीमद् भागवत कथा जहां भी हो रही हो कोई भी करा रहा हो कथा को सुनने जाना चाहिए। जगह नहीं मिलने पर आप दूर स्थान जहां कथा की आवाज आ रही है वहां बैठकर श्रवण करना चाहिए। सुख व दुख इस संसार में भुगतना है। कभी भी अपने आप पर अहंकार नहीं करना चाहिए। उक्त आशय की बात वृद्धा आश्रम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक नीलेश शास्त्री महाराज ने श्रद्धालुजनों से कही।

टोकरी में विराजित कर श्रीकृष्ण के रूप में सजाया गया और भक्ति पंडाल में प्रवेश किया तो पुष्प वर्षा से श्रद्धालु भक्तों ने आत्मीय स्वागत किया। वही वृद्ध आश्रम में अपने घरों से दूर व अपनी संतानों से अलग हुए वृद्धजनों की आंखें कृष्ण जन्म उत्सव के अवसर पर आंखें डबडबा आई। बुजुर्गों ने कहां की कृष्ण जन्म उत्सव पर उन्हें अपने अपनी संतान के बचपन के दिन बच्चों को गोदी में खिलाए दिन याद आ गए।

शास्त्री जी ने आगे कहा कि कलयुग में नाम स्मरण करने से भगवान कष्ट दूर कर देते हैं। श्रीमद् भागवत कथा को सुनने से नहीं जीवन में आत्मसात करने से जीवन कल्याण के मार्ग प्रशस्त होगा। कथा के मध्य श्रीकृष्ण जन्म हुआ। वृंदावन से आए कलाकारों ने आकर्षित झांकी के नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। पंडित शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा श्रवण करने से मनुष्य के कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। हमें भागवत कथा सुनने के साथ उसकी शिक्षाओं पर भी जीवन में आत्मसात करना चाहिए। कृष्ण अवतार के रूप में विष्णु ने संसार को यह संदेश दिया कि नैतिक शिक्षा और कर्तव्य के माध्यम से जीवन में सफलता को प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए जीवन में परोपकार करो। उन्होंने कहा कि अहंकार से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। अहंकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता है। महाराज ने कहा कि भागवत में तीनों कालों का उल्लेख है। भागवत श्रवण करने से हर प्रश्न का उत्तर मिलता है।

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