सिवनी। जीव परमात्मा का अंश है। इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, तो वह मात्र संकल्प की होती है। उक्ताशय की बात नगर के कबीर वार्ड डूंडासिवनी केंद्रीय विद्यालय के समीप साईं नगर दिलबाग नगर में क्षेत्र की समस्त महिला मंडल द्वारा संयुक्त रूप से कराई जा रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन बुधवार को कथा व्यास पं. दिनेश मिश्रा ने श्रद्धालुजनों से कही।
श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास पं. दिनेश मिश्रा ने भक्तों को रुक्मिणी हरण व श्रीकृष्ण विवाह का वर्णन कर भक्तों को सुनाया। इस दौरान भक्तों में भक्ति ऊर्जा का संचार देखने को मिला। कथा वाचक ने बताया कि रुक्मिणी के पिता विदर्भ नरेश भीष्मक स्वयंवर रचाना चाह रहे थे। अपने बड़े पुत्र रुक्मी के भय से उन्होंने स्वयंवर ना रचाकर चिंताजनक स्थित का सामना कर रहे थे क्योंकि रुक्मिणी के हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति अगाध प्रेम था। वह लक्ष्मी का अंश अवतार थी। उधर, भगवान श्रीकृष्ण को जब यह बात पता चली उन्होंने रुक्मिणी का हरण कर गंधर्व विवाह कर लिया।
इस प्रकार बड़े ही संघर्ष की परिस्थिति में श्रीकृष्ण-रुक्मिणी का विवाह संपन्न हुआ। क्योंकि रुक्मिणी का विवाह उनका भाई अपने मित्र शिशुपाल के साथ करना चाह रहा था जबकि पूरा परिवार श्रीकृष्ण के साथ विवाह कराना चाहता था।


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