सिवनी। लोक आस्था का महापर्व छठ पर सोमवार शाम लखनवाड़ा घाट सहित अन्य नदी घाटों पर श्रद्धालु उमड़ें। संध्याकाल में डूबते सूर्य को अध्र्य दिया गया। वही बरघाट में भी छठ पूजा की गई। वहीं मंगलवार को उगते सूर्य देव को अध्र्य दिया जाएगा। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ पूजा का समापन होगा।

ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर रवि योग समेत कई मंगलकारी संयोग बनें। इन योग में सूर्य देव को अध््र्य देने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होगी। ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी सोमवार को दोपहर 01 बजकर 27 मिनट से रात्रि तक रहा। इस योग में संध्या अध्र्य दिया गया। इसके साथ ही सुकर्मा योग का भी संयोग बना।
रवि योग में सूर्य देव की उपासना करने से साधक पर सूर्य देवता की कृपा बरसती है। साथ ही आरोग्यता का वरदान मिलता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर कौलव और तैतिल करण का महासंयोग रहा। कौलव करण में डूबते सूर्य देव को अध्र्य दिया गया। ज्योतिष कौलव करण को शुभ मानते हैं। इसके साथ ही करण योग में उगते सूर्य देव को अध्र्य दिया जाएगा। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से साधक पर आत्मा के कारक सूर्य देव की असीम कृपा बरसेगी।
इससे पहले चार दिवसीय महापर्व के दूसरे दिन रविवार को खरना पर विशेष प्रसाद बनाया गया। इसी के साथ व्रति महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ। खरना के दिन मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर का प्रसाद बनाकर भोग लगाया गया। इसके बाद परिजन एवं श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद परिजनों ने व्रती से आशीर्वाद लिया। यह व्रत संतान की प्राप्ति और उनकी समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस पर्व पर सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा का विधान है।
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