बचपन में मिले संस्कार जीवन भर स्मरण रहते हैं : पं. प्रेमकृष्ण शास्त्री

सिवनी।  ग्राम हथनापुर के टिघरी मोहल्ला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को कथा व्यास पं. प्रेमकृष्ण शास्त्री ने भक्त प्रह्लाद प्रसंग का वर्णन किया।

कथा व्यास प्रेमकृष्ण शास्त्री ने कहा कि भक्त प्रह्लाद ने माता कयाधु के गर्भ में ही नारायण नाम का मंत्र सुना था। उसके प्रभाव से उनके जीवन के अनेक कष्ट दूर हो गए थे। कथा का आरंभ गुरु वंदना के साथ हुआ। इसके उपरांत व्यास महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का बखान किया। उन्होंने कहा कि बच्चों को बचपन से ही धर्म और अध्यात्म का ज्ञान दिया जाना चाहिए, क्योंकि बचपन में मिले संस्कार जीवन भर स्मरण रहते हैं।

माता-पिता की सेवा, प्रेम और समाज में मिलजुलकर रहना ही धर्म का मूल है। उन्होंने बताया कि अच्छे संस्कारों के कारण ही ध्रुव जी को पांच वर्ष की आयु में भगवान के दर्शन हुए और उन्हें 36 हजार वर्ष तक राज्य करने का वरदान प्राप्त हुआ।

परायणकर्ता व्यास आचार्य पं. सनतकुमार उपाध्याय द्वारका धाम ने सिवनी जिले में पूज्यपाद जगत गुरु शंकराचार्य जी का जन्म हुआ था। शंकराचार्य जी के चरण हर गांव में पड़ चुके हैं जिससे यहाँ की भूमि पवित्र हो चुकी है। उनका अनुग्रह और आशीर्वाद ही है जो यहां श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हो रहा है और इसका लाभ श्रद्धालुजन ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक इस संसार में आपका शरीर है तब तक के कथा श्रवण करते ही रहना चाहिए। भगवान की भक्ति जिसके हृदय में स्थापित हो जाए भगवान भी अपना सब कुछ छोड़कर उसके हृदय में स्थापित हो जाते हैं। इसलिए भगवान की भक्ति निरंतर करते रहना चाहिए।

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