सिवनी। खेतों में लगी फसल सूखने की कगार में है। सूखती फसल को देखकर किसान खासे चिंतित नजर आ रहे हैं। कुछ इलाकों में नहर से जहां 4 -5 बार पानी मिल चुका है। वही ऐसे एक दर्जन गांव हैं जहां किसानों को उनके खेतों पर लगी फसल के लिए दूसरे बार का पानी भी नहीं मिला है। नहर से पानी नहीं मिलने और फसल बर्बाद होता देख क्षेत्र के किसान आक्रोशित हैं। गुरुवार को किसान एसडीएम कार्यालय पहुंचे अधिकारी के समक्ष किसानों की वार्ता हुई। जहां काफी हंगामा हुआ। हालांकि अधिकारियों ने किसानों को आश्वस्त किया है कि शुक्रवार से वे स्वयं क्षेत्र का निरीक्षण कर किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने की पूरी व्यवस्था बनाएंगे।
किसानों ने बताया कि कान्हीवाड़ा क्षेत्र में कुछ किसानों ने नहर का पानी रोक दिया है। इसके कारण केवलारी क्षेत्र के अनेक गांव के किसानों को नहर का पानी नहीं मिल पा रहा है। कान्हीवाड़ा क्षेत्र के लोगों ने नहर से 5 पलेवा का पानी ले लिया है, जबकि केवलारी क्षेत्र के किसानों को एक पलेवा का पानी ही मिल सका है। किसानों के आक्रोश को देखते हुए प्रशासनिक व जल संसाधन विभाग के अध्ाकारियों ने कहा कि अमला पुलिस के साथ मौके पर जाएगा। जहां भी नहर का पानी रोका जाना पाया जाएगा वहां कड़ाई से पानी छुड़वाने की कार्रवाई की जाएगी। बैठक में छुई जल उपभोक्ता संथा के अध्यक्ष ने केवलारी क्षेत्र के किसानों से कहा कि 7 दिनों के बाद ही वह नहर का पानी केवलारी क्षेत्र के किसानों को लेने देगें। इस बात पर काफी विवाद होने पर छुई के अध्यक्ष बैठक से चले गए। बैठक में एसडीएम, तहसीलदार, जल संसाधन विभाग के एसडीओ नीरज कौरव सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।नहर से पानी नहीं मिलने के कारण केवलारी अंतर्गत गांव डोकररांजी, पांजरा, परासपानी, जामुनपानी, बगलई समेत अनेक गांव के किसान परेशान हैं। सिंचाइ के आभाव में खेतों में लगी फसल सूख रही है। पीड़ित किसान अनिल तिवारी, विष्णु तिवारी, अज्जू तिवारी, गणेश तिवारी, राधेश्याम तिवारी, राधेश्याम बघेल, अमित बघेल, संतु मिश्रा, रविंद्र तिवारी, दिनेश, संत कुमार, छोटेलाल, मोहन तिवारी, कमलेश मिश्रा, अनिल पाठक, राघवेंद्र पाठक, रमाकांत त्रिपाठी, संजय पाठक, कृष्ण कुमार तिवारी अल्केश तिवारी, अनिल तिवारी आदि किसानों ने बताया कि गांव डोकररांजी पहन 17 रानिमं केवलारी तहसील व विकासखंड केवलारी के किसान नहर का पानी नहीं मिलने के कारण परेशान हैं। यहाँ फसलों की सिंचाई का साधन एक मात्र नहर है। आक्रोशित किसानों ने कहां की शासन प्रशासन द्वारा इस मामले में अभी भी गंभीरता नहीं बरती गई तो वे उग्र आंदोलन करने मजबूर होंगे।
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