धर्म सिवनी

भगवान का भक्त सदैव सदकर्मों में रहता है लीन : नीलेश शास्त्री

सिवनी। भगवान की लीला अपरंपार है, जो व्यक्ति चाहे तो भक्ति के माध्यम से वृंदावनधाम की स्वयं अनुभूति कर सकता है, साधक घर में ही रहकर हवन पूजन व कथा के दौरान जब पुलकित होकर रोमांचित हो जाता है तो यही क्षण उसे वृंदावन धाम की अनुभूति कराता है। वृद्धाश्रम सिवनी में जारी भागवत ज्ञान कथा के छठवे दिन भक्तजनों को संबोधित करते हुए पं नीलेश शास्त्री ने कहा कि खाली पात्र से कभी भी जल बाहर नहीं निकलता ऐसे ही जो व्यक्ति भगवान की भक्ति में लीन नहीं होता उसे उसकी अनुभूति भी नहीं होती।

लगातार भक्ति से जब कंठ अवरूद्ध हो जाए, चित्त प्रसन्न हो जाए, आंखों में आंसुओं की धारा बहने लगे और व्यक्ति लज्जा छोड़कर नृत्य करने लगे तो यह प्रक्रिया ना केवल शरीर को पवित्र करती है बल्कि सारा क्षेत्र इस दौरान पवित्र हो जाता है।

भक्तों के लक्षण पर प्रकाश डालते हुए पं नीलेश शास्त्री ने बताया कि पुलकित मन और रोमांच से भरा शरीर जीवात्मा को शुद्ध करता है, जिस भक्ति में प्रदर्शन होता है वह कभी भी स्वीकार्य नहीं होती।
भगवान कृ़ष्ण के जीवनकाल के दौरान हुई घटनाओं का उल्लेख करते हुए बताया गया कि तमाम प्रयासों के बाद भी कंस भगवान का वध नहीं करवा पाया क्योंकि कृष्ण के पास असली और नकली की पहचान करने की शक्ति थी। भक्तजनों भगवान के गुणानुवाद बीज हैं लेकिन ये वहीं अंकुरित होते हैं जिन मनुष्यों का मन सुंदर हो, वह पुण्य कर्म करता हो, श्रेष्ठ कार्योँ में हमेशा लीन होता है ऐसे व्यक्ति के मन में ही बीज उत्पन्न होते हैं और कथा सुनने के बाद इसकी अनुभूति व्यापक रूप से महसूस की जाती है। जीवन में कथा सुनते सुनते सभी को इसी परिस्थिति तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए तभी उद्धार संभव है।
विश्व में सभी कार्यों में अच्छे और बुरे व्यक्ति मौजूद होते हैं लेकिन उनकी पहचान करना जरूरी है। जैसे बगुले और हंस में पहचान करना जरूरी है क्योंकि कलयुग में हजारों व्यक्ति अपना वास्तविक रूप छोड़कर छल कपट से ऐसा रूप धारण कर लेते हैं जो मनुष्य को भ्रमित कर देता है।

भगवान हर जगह मौजूद हैं जो दिशा, सूर्य, पृथ्वी, चांद और दस दिगपाल के माध्यम से सभी मनुष्यो ंपर नजर रखते हैं। समय पडऩे पर विपत्ति के दौरान भगवान सहारा उत्पन्न करता है और अधर्मी व्यक्ति का विनाश करने के लिए वह माध्यम पैदा करने में अपनी भूमिका निभाता है।
भगवान के भक्त हमेशा सत्कर्मों में लीन रहते हैं क्योंकि उन्हें भगवान ने इतनी सामथ्र्य प्रदान कर दी है कि वे दुष्कर्मों के लिए समय ही नहीं निकाल पाते। भगवान को विपत्ति में सभी याद करते हैं लेकिन जो व्यक्ति सामान्य परिस्थिति में भी परमपिता की भक्ति करता है उसे सहारे की जरूरत भी नही पड़ती। ईश्वर के प्रतिनिधि हर जगह मौजूद रहते हैं जिनकी पहचान भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के माध्यम से ही मिल सकती है।

आयोजित होगा विशाल भंडारा – वृद्धाश्रम में निवासरत सुनैना चौकसे द्वारा अपने दिवंगत पति पूनाराम चौकसे की स्मृति में भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया था। मंगलवार को अंतिम दिन हवन पूजन के पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन भी समिति के द्वारा किया गया है। सभी भक्तजनो ंसे इस अवसर पर प्रसाद ग्रहण करने का अनुरोध आयोजन समिति के द्वारा किया गया है।

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