क्राइम सिवनी

बिजली अधिकारी पर लगा झूठा प्रकरण दर्ज कर फंसाने का आरोप

सिवनी। कुरई विकासखंड के ग्राम खापा निवासी विमलजीत कालिया पर बिजली चोरी का प्रकरण और जांच के उपरांत उसे दोषमुक्त किया गया। जब दोषमुक्त होने के बाद आमजन द्वारा व्यक्तिगत रूप से प्रताडित करने की मंशा रखकर झूठा प्रकरण बनवाने व न्यायालय मे परिवाद पेश करने वाले उसी अधिकारी के विरूद्ध प्रकरण दर्ज करने के लिए पुलिस में शिकायत की जाती है तो उस अधिकारी पर किसी तरह की कार्यवाही किये जाने में असमर्थतता बताया जाना कानून के दोहरे मापदंड को प्रदर्शित करता है आज भी मेरे जैसे कई लोग शासन प्रशासन में बैठे अधिकारियों की झूठी प्रताडऩा से तंग होकर अप्रिय कदम उठा लेते है।

आरोपित है कि विद्युत मंडल सर्तकता विभाग सिवनी के कार्यपालन यंत्री आरपी सोनी की प्रताडना से परेशान हूॅ मेरे ऊपर 30 जुलाई 18 को बिजली चोरी से अगरबत्ती मशीन चलाने का झूठा प्रकरण मेरी अनुपस्थिति ताला लगे घर में बना दिया, जिसका जुर्माना 58230 रूपये लगाया गया, और बिजली का कनेक्शन काट दिया गया, जबकि में स्वास्थ्य खराब होने के कारण 26 जुलाई 18 से 29 जुलाई 18 तक शासकीय जिला चिकित्सालय सिवनी में भर्ती था, स्वास्थ्य में किसी तरह का सुधार नहीं होने पर 29 जुलाई 18 को जिला चिकित्सालय से डिस्चार्ज होकर जिंदल हास्पिटल में 29 से 31 जुलाई 18 तक भर्ती रहकर उपचार करा रहा था।

विद्युत वितरण कंपनी ने इस दौरान झूठा परिवाद सिवनी न्यायालय में पेश किया गया, जिसमें इनके द्वारा कहां गया था कि मौका स्तर पर उपयोग की जाने वाली विद्युत उपकरणों की गणना की गई तद्उपरांत दल के सदस्यों द्वारा स्थल निरीक्षण पंचनामें पर अपने अपने हस्ताक्षर किये गये, परंतु उपभोक्ता ने पंचनामा पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। जबकि उस दिनांक को मै विमलजीत कालिया चिकित्सालय में भर्ती होकर उपचार ले रहा था, पुलिस अधीक्षक द्वारा कराई गई जांच में पाया गया कि विद्युत विभाग के अधिकारी द्वारा गलत प्रकरण बनाया गया, पुलिस जांच के दौरान विद्युत विभाग के दल के सदस्य लाईनमेन शरणागत मौका गवाह द्वारा कहां गया है कि विमलजीत कालिया द्वारा कोई भी विद्युत चोरी नहीं की जा रही थी, और घर में ताला गया हुआ था।
विद्युत विभाग के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकार को बचाने के लिए और मुझे सजा दिलाने की मंशा से पहले तो न्यायालय में झूठा परिवाद पेश किया गया और पुलिस अधीक्षक की जांच रिपोर्ट आने के बाद भी अपने अधिकारी को दोषी पाने पर भी उसके विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई।

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