सिवनी

कृषि वैज्ञानिक ने दी आगामी दिनों के लिए मौसम आधारित कृषि सलाह

सिवनी। कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. एन.के. सिंह ने किसानों को सलाह देते हुए बताया है कि आगामी दिनो मे तापमान में उतार चढाव की स्थिति में कुछ क्षेत्रों में पाला पडने की संभावना रहती है। जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है। जिस दिन ठंड अधिक हो शाम को हवा का चलना रूक जाये, रात्रि में आकाष साफ हो एवं आर्द्रता प्रतिषत अधिक हो उस रात पाला पडने की संभावना अधिक रहती है। पाला पडने की स्थिति में आलू, टमाटर, मटर, मसूर, सरसों, बैगन, अरहर, धनिया, पपीता, आम व अन्य नवरोपित फसलें अधिक प्रभावित होती है। पाले की तीव्रता अधिक होने पर गेहूंॅ, चना आदि फसलें भी इसकी चपेट में आ जाती है। ऐसी स्थिति में खेतों की मेढों पर घास, फूस जलाकर धुंआ करें जिससे आस-पास का वातावरण गर्म हो जाता है एवं फसलें पाले से बच जाती है। पाले से बचाव के लिए किसान भाई फसलों में सिंचाई करें, सिंचाई करने से फसलों में पाले का प्रभाव नहीं पडता है। घुलनशील सल्फर 80 प्रतिशत डब्ल्यू. डी. जी. की 40 ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव किया जा सकता है। फसलों को पाले से बचाव हेतु म्यूरेट आंॅफ पोटाष की 15 ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव कर सकते है। अथवा एन. पी. के. 19ः19ः19 की 100 ग्राम मात्रा 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। वर्तमान में कुछ क्षेत्रों में गेहूंॅ की फसल में जड माहू का प्रकोप देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में जड माहू से बचाव हेतु इमीडाक्लोप्रीड 17.8 एस.एल. की 100 मि.ली. या क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. की 800 मि.ली. दवा प्रति एकड की दर से 150-180 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। गेहूंॅ की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव हेतु किसान भाई क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. की 2 लीटर मात्रा को 20 किलो रेत में मिलाकर प्रति एकड की दर से खडी फसल में डालें और सिंचाई करें। वर्तमान में लगी लहसुन की फसल में पत्तियांॅ उपर से मुड जाती है। जो कि रस चूसक कीट थ्रिप्स के प्रकोप के कारण हो रहा है। नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करें। कुछ क्षेत्रों में लहसुन की फसल में लाल मकडी का प्रकोप होने पर सल्फर की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। देर से बोई गई गेहूंॅ की फसल यदि 21 से 25 दिन की हो गई है। तो पहली सिंचाई आवष्यकतानुसार करें तथा 3-4 दिन के बाद नत्रजन की शेष मात्रा का छिडकाव करें। वर्तमान में लगी मटर की फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। इसके नियंत्रण हेतु 4 प्रतिषत नीम बीज अर्क का सत का छिडकाव करें। अथवा इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिषत एस. जी. दवा का 8 ग्राम या इंडाक्साकार्ब 14.5 एस. सी. का 12 मि.ली. दवा 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। मटर की फसल में चूर्डिल आसिता रोग जिसमें पत्तियों पर हल्के दाग बाद में सफेद पाउडर के रूप में बढकर एक दूसरे से मिल जाते है और धीरे धीरे पूरी पत्तिया ढक कर सूख जाती है। नियंत्रण के लिये घुलनषील गंधक का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से या पेनकुनाजोल 1 मि.ली. दवा प्रति 4 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। वर्तमान में लगी चने की फसल में पक्षियों को आश्रय देने के लिए टी. आकार की खुटिया लगायें जिससे पक्षी खेत में बैठकर इल्लियों को नष्ट करेंगे। ज्यादा प्रकोप होने पर बेवेरिया बेसियाना की 40 मि.ली. या इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिषत एस.जी. का 8 ग्राम को 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।   

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