सिवनी। ब्रह्माकुमारी संस्थान की जिला प्रमुख ज्योति दीदी जी ने कहा योग के द्वारा हम शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं । योग अर्थात जोड़, मिलन या संबंध । आत्मा का जब परमात्मा से योग होता है तो आत्मा के अंदर की सारी विकृतियां समाप्त हो जाती हैं, दिव्य गुण और शक्तियों का विकास होने लगता है।
जिला शिक्षा अधिकारी एस एस कुमरे जी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं देते हुए ब्रह्मा कुमारीज के सदस्यों से कहा कि आप तो प्रतिदिन योग ध्यान साधना करते हैं लेकिन आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर हमने जो सीखा वह जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प ले।
शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय के सेवानिवृत शिक्षक घनश्याम दुबे जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि योग: कर्मेशु कौशलम यानी कर्मों में कुशलता ही योग है। प्राचीन काल से योग हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग रहा है। इससे हम हमेशा शक्ति व ओज से पूर्ण रहते हैं और रोग मुक्त रहते हैं। योग दिवस के अवसर पर योग की महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए ब्रह्माकुमारी गीता दीदी जी ने कहा कि दुनिया में हर प्रकार की क्रांति हो रही है।
विकास की नई-नई ऊंचाइयों पर मानव पहुंच रहा है लेकिन कहीं ऐसा ना हो जाए ,इंसान वही का वहीं रह जाए । अगर इंसान वही का वहीं रह गया और विश्व में यह सारी व्यवस्थाएं विकसित हो गई तो यह मिसमैच भी मानव जाति के लिए संकट का कारण बन सकता है । इसलिए मानव का आंतरिक विकास अति आवश्यक है। ताकि भारत पुनः विश्व गुरु बन सके। शरीर को हम कितना लचीला बना लेते हैं, कितना मोड़ लेते हैं यह योग नहीं है । अगर ऐसा होता तो सर्कस के बच्चे श्रेष्ठ योगी कहलाते। हमारे जीवन में आसन और प्राणायाम का महत्व उतना ही है, जितना संगीत के जलसे के प्रारंभ में जो वाद्य यंत्रों को बजाने वाले लोग हैं वह अपने-अपने तरीके से अपने वाद्य यंत्रों को ठोक पीट करते रहते हैं यह पांच सात मिनट का ताल ठोक का कार्यक्रम कहलाता है । लेकिन जो श्रोतागण होते हैं वह सोचते हैं की शुरू कब होगा । जिस प्रकार संगीत शुरू होने के पहले यह ताल ठोक का कार्यक्रम होता है और बाद में एक सुरीला संगीत निकलता है यह ताल ठोक वाला कार्यक्रम पूरे संगीत समारोह में बहुत छोटा होता है लेकिन महत्वपूर्ण होता है । यह आसन भी पूरी योग व्यवस्था में उतना ही उसका हिस्सा है । बाकी तो यात्रा बहुत लंबी होती है इसलिए अभी इस यात्रा को जानना पहचाना अति आवश्यक है।
इसी के अंतर्गत ब्रह्माकुमारी रामेश्वरी दीदी जी ने कहा कि भारत के प्राचीन राजयोग को जानने के लिए दिनांक 21 जून से सप्त दिवसीय कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज के बारापत्थर में स्थित सेवा केंद्र एवं लोनिया रोड पर स्थित शांति शिखर सेवाकेंद्र पर सुबह 8 से 10 और शाम को 4 से 6 बजे के बीच रखा गया है। सुबह या शाम दोनों में से किसी भी एक सत्र में शामिल होकर आप इस प्राचीन योग को सीखने के लिए आमंत्रित हैं। एवं दीदी जी के द्वारा राजयोग का अभ्यास कराया गया। इसके पश्चात आसन ,प्राणायाम की क्रियाएं ब्रह्मकुमारी गीता दीदी एवं नीतू दीदी के द्वारा कराई गई । जिसमें अनेक अनेक सदस्यों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।
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