धर्म सिवनी

जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर होते हैं अवतरित : पं. रूपराम दुबे

सिवनी। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। मात्रधाम कतालबोडी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन गुरुवार को कथा व्यास पं. रूपराम दुबे ने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं।
कथा प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा का संगीतमयी वर्णन सुन श्रद्धालुगण झूमने लगे।
कथा आयोजक भगवत सिंह सनोडिया, श्रीमती श्यामा बाई सनोडिया, रामनरेश सनोडिया ने बताया कि कथा श्रवण करने आसपास के गांव से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन पहुंच रहे हैं कथा का समापन 22 मार्च को होगा।

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