सिवनी। मध्यान्ह भोजन योजना सरकार का एक राष्ट्रीय योजना है जिसके अंतर्गत 12 करोड़ बच्चों को 1265000 स्कूल में शिक्षा की गारण्टी योजना अंतर्गत चलाया जाता है। इस योजना को फलीभूत करने में मध्यान्ह भोजन कर्मियों की भूमिका अहम है। विगत 12 से 15 वर्ष से ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कार्यरत है व उनका काम भोजन बनाना, बच्चों को परोसने के अलावा सुबह स्कूल खोलने से लेकर सफाई सहित स्कूल बंद करना शामिल है। जिनको मासिक 2000 रुपये मानदेय सिर्फ 10 माह के लिये दिया जाता है। इसे 12 माह किया जाना न्याय उचित होगा।
मध्यान्ह भोजन कर्मी ने मांग करते हुए कहा कि कर्मियों के मानदेय में वृद्धि की जाए। कई प्रदेशों में सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह कार्य NGO द्वारा केन्द्रीय भोजन योजना द्वारा बनवाकर स्कूलों को सर्व किया जायेगा। वहां बाकी कार्य जो मध्यान्ह भोजन कर्मियों से लिया जाता है, उन्हें नियमित कर्मचारी का दर्जा दिया जावे। मध्यान्ह भोजन कर्मी पर उनके कार्य एवं उपयोगिता पर लोकसभा में चर्चा दौरान सरकार द्वारा 3-4 घंटे का कार्य करने की भूमिका स्कूलों में होना स्वीकार्य किया गया है इसे न्यूनतम वेतन के प्रावधानों अनुसार भुगतान किया जावे। मध्यान्ह भोजन कर्मी को स्कूलों द्वारा जो कार्य उनके कार्य अनुसार उनकी (PEON-CUM COOK) प्यून कम कुक के रूप में नियमित किया जावे व उनका वेतन 15000/- प्रतिमाह दिया जावे। मध्यान्ह भोजन कर्मी के मानदेय को 7500/- रुपये प्रतिमाह किया जावे व जो उनके मध्यान्यातों में नियमित जमा होना सुनिश्चित हो।
मध्यान्ह भोजन कर्मियों को 10-15 साल पहले जब उनको 10-20 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से भर्ती किया गया था उनको हेड मास्टर, लोकल राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा कार्य से अनैतिक रूप में सेवा से बर्खास्त एवं निलम्बन तुरन्त रोका जाना चाहिये और ऐसे अनैतिक कार्य करने वाले के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाये। मध्यान्ह भोजन में मिलने वाली खाद्य सामग्री का प्रावधान योजना द्वारा किया जाता है उसका विवरण मध्यान्ह भोजन कर्मियों को इसका भुगतान सीधा उनके खाते में जमा किया जावे। नये स्थानों को चिन्हित कर भोजन कर्मियों की भर्ती की जाये। (8) मध्यान्ह भोजन कर्मियों को नियमित कर 5000/- रूपये प्रतिमाह पेन्शन दिया जावे। कृपया उक्त मुद्दों का तुरंत संज्ञान में लेकर निदान किया जावे।
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