सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता : नीलेश शास्त्री

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सिवनी। नगर के शिव शक्ति मंदिर परिसर राजपूत कॉलोनी टैगोर वार्ड में जारी श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन गुरूवार को वृदांवन से पधारे पं. नीलेश शास्त्री ने व्यासपीठ से धुंधकारी व गौकर्ण की कथा सुनाया। वही सुबह कथा स्थल से टैगोर वार्ड क्षेत्र में बाजे गाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गई।

श्रीमद् भागवत महात्म्य के विषय पर प्रकाश डालते हुए शास्त्री जी ने कहा कि इस कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के माध्यम से ही स्थिर रख सकता है। सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और बिना सौभाग्य के सत्संग सुलभ नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि कलयुग में भगवान को प्राप्त करने का एकमात्र साधन श्रीमद्भागवत कथा है। उन्होंने कहा कि भगवान के तीन रूप हैं। पहला रूप सत्य है और भगवान सत्य रूप में हैं। सत्य वही है जो सर्वदा एक समान रहता है। भगवान का दूसरा रूप चैतन्य है और तीसरा रूप आनंद स्वरूप है। भगवान का भजन हमेशा आनंद मय रहता है। संसार के हर आनंद का कभी ना कभी अंत होता है। भगवान का काम संसार की सृष्टि की रचना करना और दूसरा जिसका जन्म हुआ, का पालन करना और तीसरा कार्य सृष्टि का विनाश करना है। उन्होंने कहा कि जिसने जैसा कर्म किया है, उसे उसका फल जरूर मिलता है। जीवन को भक्ति के मार्ग में लगाएं तो जीवन आनंदमय होगा। कलयुग में लोगों के पास समय की कमी है। सतयुग में सभी भगवान की प्राप्ती के लिए यज्ञ करते थे, परंतु अब समय की कमी के कारण लोग यज्ञ नहीं कर रहे हैं। कथा आयोजक प्रोफेसर डीपी नामदेव, डॉक्टर नरेंद्र नाथ नामदेव ने बताया कि सोमवार को गोवर्धन पूजा व मंगलवार 6 दिसंबर को रुक्मणी विवाह की कथा कथावाचक नीलेश शास्त्री जी द्वारा बताया जाएगा।

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