शब्द सुमन अर्पित कण-कण को, कंठ-हृदय से गान है।
वनांचल की गोद बसी यह, ,,,,,,,, कुरई हमारी शान है।।
उत्तर बैनगंगा का उद्गम, दक्षिण नदी पचधार है।
पूरब बावनथड़ी की कल-कल,पश्चिम पेंच किनार है।
ताल-तलैया, घाट विहंगम, प्रकृति का वरदान है।।
वनांचल की गोद बसी यह, कुरई हमारी शान है।।
जंगल के कुछ झोन बफर हैं, कुछ एक कॉरिडोर हैं।
बाघ, हिरन, सांभर, वनभैंसा, पक्षी सुंदर मोर हैं।
चहुँओर मोगली का जंगल “पेंच राष्ट्रीय-उद्यान” है।।
वनांचल की गोद बसी यह, ,,,कुरई हमारी शान है।।
भक्तिराजा, मामा-भासिया, नदी में कैलाशधाम है।
माँ बंजारी, घाटगोसाई, ,,,,,,, कलबोड़ी में राम हैं।
अल्लाह, कुंमा, पटेलबाबा, साक्षात ही भगवान हैं।।
वनांचल की गोद बसी यह, ,,, कुरई हमारी शान है।।
वनसंपदा, महुआ, तेंदू, साधन ये सब आय के।
कृषि-उत्पादक, रिसोर्ट प्यारे कारक हैं व्यवसाय के।
मक्का, ज्वारी, गेहूँ, अरहर, मुख्य फसल में धान है।।
वनांचल की गोद बसी यह, ,,,, कुरई हमारी शान है।।
गौरवशाली स्मारक सत्याग्रह टुरिया धाम में।
रैनो, मुडडे, देभो, बिरजू, शहीद थे संग्राम में।
भारत को आजाद ही रखना जन-जन का अरमान है।।
वनांचल की गोद बसी यह, ,,,,,,,,,कुरई हमारी शान है।।
कलाकृति बर्तन माटी के भगवन है पचधार में।
मीठी-बोली, संस्कृति है जन-जन के व्यवहार में।
कोदाझिरी कवि का आँगन, “संतोष”का अभिमान है।।
वनांचल की गोद बसी यह, ,,,,,,, कुरई हमारी शान है।।
संतोष बरमैया #जय, कोदाझिरी,कुरई
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