सिवनी। विगत 23 नवम्बर 2025 को मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के तत्त्वावधान में जिला अदब गोशा, सिवनी के द्वारा ‘सिलसिला’ के तहत रचना पाठ कार्यक्रम का आयोजन श्रीजी भवन, बींझावाड़ा रोड, सिवनी में जिला समन्वयक मिन्हाज कुरैशी के सहयोग से किया गया।
सिवनी में आयोजित ‘सिलसिला’ के लिए मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेंहदी ने अपने संदेश में कहा कि “मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा ‘सिलसिला’ के अंतर्गत सिवनी में होने वाला रचना पाठ और ‘शाम-ए-गजल’ कार्यक्रम हमारी सांस्कृतिक परम्परा और रचनात्मक विविधता को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। हमारा उद्देश्य प्रदेश के हर जिले में प्रतिभाओं को मंच उपलब्ध कराना और उन साहित्यकारों व शायरों तक पहुँचना है, जिन्हें अब तक कम अवसर मिले हैं। सिवनी के साहित्य, कला और संगीत प्रेमी कार्यक्रम में शामिल होकर उर्दू अदब की इस खूबसूरत महफिल को सफल बना रहे हैं, यह हर्ष का विषय है। सिवनी जिले के समन्वयक मिन्हाज कुरैशी ने बताया कि ‘सिलसिला’ के तहत दोपहर 2:00 बजे रचना पाठ का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता स्वामी बलवंतानंद श्रद्धानंद जी ने की। वहीं मुख्य अतिथि के रूप में खलीक कुज्जमा ‘सहर’ एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में यूसुफ ‘राज’ मंच पर उपस्थित रहे इस अवसर पर वरिष्ठ शायर खलीक कुज्जमा ‘सहर’ ने गजल के हवाले से वक्तव्य प्रस्तुत किया।
सर्वप्रथम नरेन्द्र नाथ ‘चट्टान’ द्वारा प्रस्तुत गजल “आके मुझसे तुम ना अब सेखियाँ बघारो-औकात मुझे पता है तुम गल्तियाँ सुधारो” को श्रोताओं ने सराहा। अशफाक खान ‘जबल’ के “मैं अपने पीछे कुछ तो सबक छोड़ जाऊंगा-कुछ तो मुहब्बत के वरक छोड़ जाऊंगा” शेर को श्रोताओं ने खूब सराहा। इकराम ‘सदफ’ के इस शेर “ख्वाब हमारे मर जाते हैं-आँख में आँसू भर जाते हैं” को श्रोताओं ने खुले दिल से दाद दी। संजय समर्पित ‘अशांत’ की ‘समझ न पाया वो बेचारा गद्दा कैसा होता है-बचपन मेरे गांव का पैरा ओढ़ के सोता है” पंक्तियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मसूद ‘आतिश’ के “दुश्मन को भी न चाहूं के जिल्लत दे-उसको भी और मुझको भी तू इज्जत दे” शेर को श्रोताओं ने खूब पसंद किया। मंच संचालन कर रहे सिराज कुरैशी ने अपने शेरों के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया-“बहुत गुरूर है मजबूत कश्तियों पे तुझे, हमारे हौसले तिनकों से काम लेते हैं।” अनीसा कौसर’ ने ‘आयेगा मुझसे मिलने वो अब की बहार में बैठी हूँ ये उम्मीद लिये इन्तिजार में’ शेर पढ़कर वाहवाही लूटी। डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी की “विषय है वासना है और मैं हूँ खुला ये आसमां है और मैं हूँ’ गजल को श्रोताओं ने खुले दिल से दाद दी। अम्बिका शर्मा की “रूह की कैद है ये बदन की कबा-कैसे समझाऊं मैं अपने हालात को। सच की दिवानगी देखिए ‘अम्बिका’-हंस के पीना पड़ा जहर सुकरात को इस गजल ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुम्बई से आई डॉ. जीनत एहसान कुरैशी के “सोचते रहने से तो मंजिल कभी मिलती नहीं-चलते जाओ रास्ते से रास्ता मिल जाएगा” इस शेर पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजायीं। यूसुफ ‘राज’ के शेरों का कवियों / श्रोताओं ने खुले हृदय से स्वागत कर खूब तालियाँ बजायीं- “होके मायूस न जा ए शाम के बूढ़े सूरज, हम निकल आये हैं उम्मीद के जुगनू लेकर”। मिनहाज कुरैशी की गजल को श्रोताओं ने खुले दिल से दाद दी-“हम आप सारे इसी आबो गिल में रहते हैं-जो अच्छे लोग हैं ‘मिन्हाज’ दिल में रहते हैं।” वरिष्ठ कवि जगदीश ‘तपिश’ ने एक से बढ़कर एक कई मनमोहक गजल एवं शेर प्रस्तुत कर श्रोताओं को तालियाँ बजाने हेतु मजबूर कर दिया-“आदमी हो तो गम को पी जाओ-वर्ना गम आदमी को पीता है।” अरविन्द ‘मानव’ के “पांव से कांटे कुचलना चाहता हूं-दुर्व्यस्था को बदलना चाहता हूं” गीत को श्रोताओं ने खुले दिल से दाद दी। सूफी रियाज मुहम्मद ‘निदा’ ने शेरों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया-“हैं दोश पे हस्ती के तकाजों की सलीबें-मैं फर्जी मुहब्बत के दो राहे पे खड़ा हूँ।।”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि खलीक कुज्जमा ‘सहर’ ने “अब न कद्रों के वो ताजिर न खरीददार रहे-एहदे रफ्ता तेरे बाजार ने दम तोड़ दिया” इन शेरों के माध्यम से ओताओं से खूब वाहवाही लूटी। द्वितीय सत्र के “शाम-ए-गजल” कार्यक्रम अन्तर्गत मुख्य गजल गायक नेत्रपाल दुबे सहित प्रभुदयाल नाग, अजय विश्वकर्मा एव नोखेलाल सूर्यवंशी ने सिवनी के रचनाकारों की गजलें प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। छत्रपाल बिसेन ने तबले में संगत कर शानदार वादन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। गिटार में संगत मुकुन्द टेकाम के द्वारा की गई।
कार्यक्रम का संचालन सिराज कुरैशी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में जिला समन्वयक मिन्हाज कुरैशी ने सभी अतिथियों, रचनाकारों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में सर्वश्री अख्तर पटेल, अब्दुल खालिफ खान, अब्दुल अहद ‘फना’, अरविन्द अग्रवाल, सुरेन्द्र अहमद नायडू, हेमकांत गढ़वाल, गौरव पंवार, हनीफ कव्वाल, फैयाज खान, तरन्नुम नायडू, संजय वंशकार की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
(नरेन्द्र नाथ ‘चट्टान’) टी.एच.-11, अपर वैनगंगा कॉलोनी, सिवनी।


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