सिवनी। सिवनी के समीप ग्राम नांदनी में चल रही श्री मद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस की कथा में कथा व्यास ब्रह्मचारी श्री निर्विकल्प स्वरूप जी महाराज ने कहा की जो कथा का श्रवण करता है उसकी मुक्ति हो जाती है और ये भागवत क्या है? भागवत एक फल है जैसे आम एक फल है वैसे ही वेद रूपी जो कल्पवृक्ष है उसका फल है। जब फल पक जाता है तो तोता उसमें चोंच मारता है उसी प्रकार श्रीमद् भागवत रूपी इस फल पर भी एक तोते ने चोंच मारी है तो कौनसे तोते ने? तोता को संस्कृत में शुक कहते हैं तो इस भागवत को किसने चोंच मारी है शुकदेव जी महाराज रूपी तोते ने चोंच मारी है इससे पता चलता है ये पका हुआ फल है। तोता जिस फल में चोंच मार दे वो फल पका ही होता है अथवा वो जिसमें वो चोंच मार दे वो पक जाता है। संसार के फल और इस फल में थोड़ी विशेषता है संसार का जो फल होता है। उसमें तो गुठली छिलका होता है मगर भागवत रूपी ये फल है इसमें न गुठली है न छिलका रस ही रस भरा है इसमें ऐसी कोई सी चीज नही है जो फेकनी पड़े। इसीलिए भागवत रूपी फल का पान करो, पान करो। कब तक पान करें? आलयम्! जब तक मृत्यु न आ जाए तब तक सुनो, ऐसा व्यास जी कह रहे हैं।
साथ ही पूज्य श्री ने पुराणों के पांच लक्षण बताये की पुराणों में पांच लक्षण होते है लेकिन श्रीमद् भागवत कथा के दस लक्षण हैं इनमें से दसवें लक्षण को जो जान लेने से व्यक्ति की मुक्ति हो जाती है।
ये भारत भूमि ऐंसी ही जहाँ संतान भी अपने माता पिता का उद्धार कर देती है कपिल मुनि ने अपनी माता को उपदेश दिया जिसे कपिल गीता कहते हैं।
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