सिवनी। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हुई थी जिसका समापन 02 अक्टूबर को हुआ। ऐसे में पितृ पक्ष का आखिरी दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का भी आखिरी मौका था।
हिंदू धर्म में भाद्रपद माह की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाती है, जिसका समापन आश्विन माह की अमावस्या हुआ। बुधवार को सुबह 5:00 बड़ी संख्या में लोग नगर के समीपस्थित लखनवाड़ा स्थित बाणगंगा नदी तट में पहुंचे जहां विधि विधान से पितृ दर्पण कर पितरों को विदाई दी वहीं शाम लगभग 6 बजे की आरती, दीपदान बड़ी संख्या में लोगों ने किया। इसके साथ ही नदी तट किनारे लगे पीपल के पेड़ में भी लोगों ने दीप जलाकर पितरों को विदाई दी। इस मौके पर पंडित ने मंत्रों के उच्चारण के साथ लोगों से दीप प्रज्वलित कर पितरों को का तर्पण विदाई पूजन कर्म भी किया। यहां श्रद्धालुजनों ने भंडारा प्रसाद वितरण भी किया।
आश्विन माह की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितृ पुनः पितृलोक को लौट जाते हैं। ऐसे में यदि आप इस दिन पर कुछ खास कार्य करते हैं, तो इससे पितृ तृप्त होकर लौटते हैं।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल की पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है, क्योंकि इस पेड़ में पितरों का वास माना गया है। इसी के साथ पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा करें और वृक्ष के नीचे सरसों के तेल के दीपक में काले तिल डालकर जलाएं। इसी के साथ आप इस दिन पर किसी मंदिर के बाहर पीपल का पेड़ भी लगा सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि पीपल के पौधे को कभी भी घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए। आप इस दिन पितरों के नाम का तुलसी का पौधा को भी लगा सकते हैं।
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