सिवनी में शंकराचार्य विवाद पर गुरु पूर्णिमा के दिन कथा के बाद पत्रकारवार्ता में बोले प्रज्ञानानंद जी
शंकराचार्यों के बीच वर्चस्व की लड़ाई?
सुप्रीम कोर्ट से रोक तो शंकराचार्य कैसे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद : प्रज्ञानानंद
सिवनी। असली और नकली शंकराचार्य के वर्चस्व की लड़ाई शहर के राशि-बाहुबली लॉन में रविवार गुरु पूर्णिमा के मौके पर स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने धार्मिक सभा का आयोजन किया करते हुए व प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक बार फिर से छेड़ दी है। जहां प्रज्ञानानंद महाराज ने कहा, कि जब अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य को सुप्रीम कोर्ट शंकराचार्य मानने से इनकार कर चुका है, तो वह अपने आप को शंकराचार्य कैसे कहते हैं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कहा कि अंबानी परिवार के यहां बुलाने से या प्रधानमंत्री को आशीर्वाद देने से कोई शंकराचार्य नहीं हो जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि शंकराचार्य के पद पर बने रहना मेरी लालसा नहीं है, यह पद मैने धर्म की रक्षा के लिये स्वीकार किया है जिस दिन कोई योग्य संन्यासी मिल जायेगा। यह पद मै उसे सौंप दूंगा। वर्तमान में जो संन्यासी वसीयत के आधार पर शंकराचार्य पद पर आरूढ़ है वह केवल गुमराह करने वाला असत्य है। ब्रह्मलीन शंकराचार्य जगद्गुरू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज जो कि मेरे भी गुरू है। उन्होंने कोई वसीयत नहीं लिखी है। परंतु वसीयत के आधार पर शंकराचार्य प्रचारित हो रहे संन्यासी पूरी तरह झूठ प्रचारित कर शंकराचार्य की सुविधाएँ प्राप्त कर रहे है। पूज्य जगद्गुरू स्वामी स्वरूपानंद जी ने स्वयं यह बात कही है कि शंकराचार्य योग्यता के आधार पर बनते है वसीयत के आधार पर नहीं और उन्होंने स्वयं 2020 में प्रेस नोट निकालकर स्पष्ट किया था कि उनके द्वारा ज्योतिषपीठ एवं द्वारका शारदा पीठ में पर किसी को अधिकृत रूप से उत्तराधिकारी एवं शंकराचार्य घोषित नहीं किया गया ।
ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वयं कहा था कोई उत्तराधिकारी नहीं – इस आशय के तर्क काशी विद्वत परिषद द्वारा अभिषेकित किये गये द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद जी महाराज ने सिवनी नगर के राशि लॉन में आयोजित पत्रकारवार्ता में दिये और उन्होंने पत्रकारों को इससे संबंधित कुछ दस्तावेज भी उपलब्ध कराये। स्वामी प्रज्ञानानंद जी ने स्पष्ट किया कि द्वारका शारदा पीठ एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जिस वसीयत के आधार पर शंकराचार्य पद प्राप्त किये हुये है वह वसीयत 2017 की प्रचारित की जा रही है जबकि इस प्रकार की वसीयत के बारे ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज स्वयं 22 नवंबर 2020 को प्रेस नोट जारी का स्पष्ट कर चुके है कि उन्होंने दोनों पीठों पर अपना कोई उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया है।


मुझे गलत साबित करें, मैं शंकराचार्य लिखना बंद कर दूंगा या फिर वो कर दें – स्वामी प्रज्ञानानंद जी महाराज ने पत्रकारों के सामने यह भी दावा किया कि शंकराचार्य पद प्राप्त करने के लिये कुछ लोगों ने षडयंत्र किया है। उन्होंने बताया कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य जी महाराज से कुछ वर्षों तक किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा था इसी बीच षडयंत्र हुआ है। स्वामी प्रज्ञानानंद जी ने दोनों पीठों के शंकराचार्यों के साथ तर्क संगत और योग्यता संबंधी बातों पर बैठकर चर्चा के लिये चुनौती देते हुये कहा है कि वे दोनों इस संबंध में चर्चा कर ले इस मामले में जो गलत हो वह शंकराचार्य लिखना बंद कर दें। यदि वे मुझे गलत साबित कर दें तो मैं शंकराचार्य लिखना बंद कर दूंगा।
सुप्रीम कोर्ट ने शंकराचार्य की ताजपोशी पर लगायी है रोक – प्रज्ञानानंद जी महाराज ने पत्रकारों को बताया कि अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ताजपोशी पर रोक लगा दी थी। यह आदेश तब पारित किया गया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि एक हलफनामा दायर कर कहा था कि ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति का समर्थन नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने झूठा दावा किया है कि दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उन्हें ज्योतिष पीठ का उत्तराधिकारी शंकराचार्य नियुक्त किया है।
स्वामी प्रज्ञानानंद जी महाराज ने यह बताया कि श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य द्वारा वसीयत के आधार पर बने दोनों शंकराचार्यो का पट्टाभिषेक भी नहीं किया है।


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