मध्य प्रदेश सिवनी

मध्यप्रदेश के अतिथि विद्वानों की पीड़ा पहुंची राष्ट्रपति तक

सिवनी।  मप्र उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अतिथि विद्वानों की नियुक्ति मेरीट के आधार पर पूर्णतया पारदर्शी तरीके से की जाती है। वही प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री  और पूर्व  उच्च शिक्षा मंत्री  ने भी अतिथि विद्वान महापंचायत  में अतिथि विद्वानों के स्थाईत्व का वचन दिया था। इसके बाद भी मध्यप्रदेश के अथिति विद्वानों का अभी तक कुछ नहीं हुआ। जिसे लेकर अतिथि विद्वानों ने राष्ट्रपति से गुहार लगाई है।

डॉ टी.पी. सागर प्रदेश कार्यकारिणी, सदस्य एवं जिला संयोजक अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा  भोपाल मध्य प्रदेश  सिवनी मध्य प्रदेश ने बताया कि अतिथि विद्वान पद पर नियुक्ति देते समय अतिथि विद्वानों से इस आशय का शपथ पत्र लिया जाता रहा है कि अतिथि विद्वान अन्यत्र कहीं शैक्षणिक और अशैक्षणिक कार्य नहीं कर सकते।  अतिथि विद्वानों की आजिविका का एकमात्र आधार यह कार्य है। अतिथि विद्वान नियमित सहायक प्राध्यापक के समान समस्त शैक्षणिक और अशैक्षणिक कार्य करते हुए कार्य में दक्ष है।
यह कि 1991 से 2017 के मध्य नियमित भर्ती परीक्षाएं ना होने से और तत्पश्चात 2017 से अब तक प्रतिवर्ष नियमित भर्ती परीक्षाएं ना होने से  अधिकांश अतिथि विद्वानों की आयु 40 से 58  के मध्य हो गई  है।

यह कि किसी भी भर्ती परीक्षा का उद्देश्य योग्य अभ्यर्थियों का चयन होता है ।चयन पश्चात उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे कि वे कार्य को दक्ष तरीके से कर सकें ।
अतिथि विद्वान मेरीट आधार पर चयनित है । कार्य का अनुभव रखते हैं ।हर वर्ष श्रेष्ठ परीक्षा परिणाम देते हुए उच्च शिक्षा विभाग को गति देते रहे हैं।


किसी भी राज्य का उद्देश्य नागरिकों का कल्याण होता है ।
अगर स्थानांतरण या नियमित नियुक्ति से अतिथि विद्वानों को विस्थापित किया जाता है तो उनके और उनके परिवार के समक्ष जीवन यापन का गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा ‌। पूर्व में भी इस तरह के विस्थापन से कुछ अतिथि विद्वान निराशा में आत्मघाती कदम उठा चुके हैं ।

यह कि पूर्व में भी मप्र उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तदर्थ व अन्य आधार पर नियुक्त किये गये अंशकालिक प्राध्यापको को पीएससी से नियमित होने की बाध्यता से मुक्त कर नियमित किया गया है।

मप्र में भाजपा सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी चोहान ने भी अतिथि विद्वानों की व्यथा को महसुस करते हुए कहा था –
” इस उम्र में ये अतिथि विद्वान कहा जाएंगे ।रिक्त पदों पर इन्हें नियमित कर दिया जाए “
प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्रीजी और पूर्व  उच्च शिक्षा मंत्री जी ने भी अतिथि विद्वान महापंचायत  में अतिथि विद्वानों के स्थाईत्व का वचन दिया था।

डॉ टी.पी. सागर प्रदेश कार्यकारिणी, सदस्य एवं जिला संयोजक अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा  भोपाल मध्य प्रदेश  सिवनी मध्य प्रदेश ने मांग की है कि मप्र के आपके अपने अतिथि विद्वानों को सहायक प्राध्यापक सेवा में समायोजित कर स्थाईत्व प्रदान करे। अतिथि विद्वान और उनका परिवार सदैव आपके आभारी रहेंगे।

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