सिवनी। जिले में एक और जहां मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो चुका है। वही 400 बिस्तर वाले इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में अभी भी मरीज का समुचित उपचार नहीं हो पा रहा है। यहां डिलीवरी के लिए भर्ती महिला मरीजों के लिए जो आवश्यक जांच होने के लिए महिला डॉक्टर जांच रिपोर्ट मानती हैं उसके लिए पैथोलॉजी लैब में जांच के लिए रखी गई 6 मशीनों में से एक थायराइड की मशीन पिछले 15 दिनों से बंद पड़ी है। डिलीवरी के लिए भर्ती गर्भवती महिलाओं को इसकी जांच के लिए अब प्राइवेट पैथोलॉजी का सहारा लेना पड़ रहा है। गरीब परिवारों की महिलाओं के परिजनों को प्राइवेट पैथोलॉजी में थायराइड जांच के लिए जेब ढीली करनी पड़ रही है। इसके साथ ही आइसोलेशन वार्ड में हाथ-पैर की टूटी हड्डी वाले मरीज भर्ती हैं। जहां इस वार्ड के शौचालय में भी काफी गंदगी भरी पड़ी है। वहीं परिजनों को भी स्ट्रेचर धकेलने पड़ रहे हैं। इस मामले में वार्ड बॉय की कमी बताई जा रही है। मरीज व मरीजों के परिजनों को जिला अस्पताल में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां सुरक्षा व साफ-सफाई व्यवस्था भी दम तोड़ रही है।
केमिकल हुआ खत्म – जिला अस्पताल स्थित पैथोलॉजी लैब में रखी गई थायराइड मशीन पिछले दो सप्ताह से बंद पड़ी है। थायराइड मशीन में जो केमिकल रीजेंट टेस्ट के लिए डाले जाते हैं वह खत्म हो चुका है। इसके लिए गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए महिला चिकित्सक थायराइड जांच के लिए लिखती हैं तो वह जांच यहां नहीं हो पा रही है। जिससे गर्भवती महिलाओं को अब प्राइवेट लैब में जाकर अधिक राशि खर्च करके रिपोर्ट लेना पड़ रहा है। इससे उनका समय और धन बर्बाद हो रहा है। लखनादौन सरकारी अस्पताल से रेफर हुई महिला को यहां भर्ती किया गया है लेकिन उक्त गर्भवती महिला की थायराइड जांच भी जिला अस्पताल में नहीं होने से वह परेशान है।
एक दिन में होती है 300 जांच – जिला अस्पताल में जिले के सभी विकासखंड समेत आसपास के जिले के मरीज व गर्भवती महिलाएं भी यहां डिलीवरी के लिए भर्ती होती हैं। ऐसे में यहां एक दिन में लगभग 300 जांच होती हैं। पैथोलॉजी लैब में लगभग 150 मरीज की ओपीडी जो डायरेक्ट जांच के लिए यहां आते हैं और जिला अस्पताल में भर्ती मरीज आईपीडी मरीजों की संख्या भी लगभग 150 के आसपास रहती है। इस प्रकार लगभग 300 मरीज की पैथोलॉजी जांच जिला अस्पताल में होती है। ऐसे में थायराइड मशीन के बंद होने से सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को उठानी पड़ रही है। इसके साथ ही थायराइड जांच के लिए आने वाले अन्य मरीज भी परेशान हो रहे हैं। वही भोपाल से मशीन के उपकरण व मशीन के केमिकल रीजेंट आते हैं जहां केमिकल खत्म होने की सूचना दिए जाने के बाद भी राजधानी भोपाल से अभी तक केमिकल नहीं पहुंचा है। 15 दिन से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बाद भी केमिकल नहीं आने से यहां मैरिज अब स्वास्थ्य कर्मचारियों पर भी वाद-विवाद करने पर उतारू हो रहे हैं। जिसके चलते जिला अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मचारी भी खासे परेशान हो रहे हैं।
पैथोलॉजी में हैं 6 मशीन – जिला अस्पताल में स्थित पैथोलॉजी लैब में विभिन्न जांच के लिए 6 मशीन वर्तमान में हैं। जिसका संचालन साइंस हाउस प्राइवेट सेक्टर के द्वारा किया जा रहा है। यहां एक मशीन बीए 400 चालू है इस मशीन से लिवर, किडनी की जांच की जाती है। वहीं दूसरी मशीन सीसमैक्स है जिससे हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स व अन्य जांच किया जाता है। साथ ही तीसरी मशीन एचबीए1सी है इस मशीन से 3 माह की शुगर लेवल जांच की जाती है। तथा चौथी मशीन यूरिन मशीन है इस मशीन से यूरिन शुगर, ब्लड, प्रोटीन, आरबीसी आदि की जांच की जाती है। वहीं 5वी मशीन पीटीआईएनआर मशीन है जिसके चलते क्लॉटिंग जांच व अन्य जांच किया जाता है। वर्तमान में पांचो मशीन सुचारू रूप से कार्य कर रही है। सिर्फ यहां एकमात्र 6वीं मशीन थायराइड की मशीन 15 दिन से बंद पड़ी है। जिससे थायराइड संबंधित कार्य पूरी तरह खत्म हो गया है। ऐसा नहीं की 15 दिन से बंद पड़ी थायराइड की मशीन की जानकारी जिला अस्पताल के सीएमएचओ समेत संबंधित स्वास्थ्य अधिकारी को नहीं है उक्त जानकारी होने के बाद भी गर्भवती महिलाओं के की जांच ना हो अपने और उनकी परेशानी से यहां लगता है किसी को कोई सरोकार नहीं है जिसके चलते आर्थिक रूप से कमजोर गरीब तबके की महिलाएं को खासी दिक्कत हो रही है।
नवागत कलेक्टर से की शिकायत – नवागत कलेक्टर संस्कृति जैन से मरीज व उनके परिजन यह आस लग रहे हैं कि जिला अस्पताल में साफ-सफाई, सुरक्षा व यहां बंद पड़ी मशीनों समेत अन्य व्यवस्थाओं की जांच की गुहार लगाई है।
इस मामले में सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद नावकर का कहना है कि थायराइड मशीन में प्रयुक्त होने वाला केमिकल जो समाप्त हो गया है। उसके लिए यहां प्राइवेट कंपनी के कर्ताधर्ता को कई बार बोला गया है और उनका कहना है कि एक-दो दिन में आ जाएगा लेकिन अभी तक नहीं आया है। पैथोलॉजी में स्थित जांच मशीनों के लिए मध्यप्रदेश शासन से प्राइवेट कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट है जिसके चलते मशीन में आई खराबी व अन्य कमी वैसी सामानों की पूर्ति की जाती है यह सारा उन्हीं के द्वारा होता है। साफ सफाई का ठेका भी प्राइवेट को दिया गया है वह वार्ड बाय की कमी भी काफी ज्यादा है जिसके चलते मरीजों को लाने ले जाने के लिए कई बार उनके परिजन ही स्ट्रेचर मजबूरी में धकेलते हैं।
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