सिवनी। नगर के बारापत्थर क्षेत्र स्थित लॉन में जारी सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का बुधवार को समापन हुआ। छपारा से आए कथा व्यास नारायण शास्त्री बंजारी वाले ने व्यासपीठ पर विराजमान होकर भागवत कथा का श्रवण कराया। हवन प्रसाद वितरण के साथ कथा का समापन हुआ। 54वी कथा के समापन पर कहा कि अब तीर्थ गया उत्तरांचल वाराणसी में कथा होगी।
श्रीमद्भागवत कथा में विभिन्न धार्मिक प्रसंग सुनाए गए। साथ ही सभी का आभार व्यक्त कर भगवान नारायण का भजन कर कथा में श्रद्धालुओं से कहा कि प्रारब्ध कर्म के अनुसार जीव को फल भोगना पड़ता है। जीव सुख और दुख का भागी होता है। इसीलिए सभी को प्रारंभ मानकर जीवन को भगवान के पूजन ध्यान में समर्पित कर पवित्र कर्म करते रहना चाहिए। मानव जीवन मिला है तो मानव को जहाँ भी कथा श्रवण का सुअवसर मिले वहाँ जाना चाहिए।
पितरों को सद्गति प्रदान करने वाली श्रीमद् भागवत कथा को जो सुनता है, जो श्रवण करता है वह संसार में किसी योनि में किसी प्रेत योनि में है उसे मुक्त करके भगवान नारायण के चरणों में आश्रय प्राप्त करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जो अपना वैभव संपदा अपना मन के चलते हैं वह भ्रम है। सब कुछ दिया तो भगवान नारायण का है। जो मिला है उसी में संतोष करना चाहिए।




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