परसाई का साहित्य लोकतंत्र का सजग प्रहरी
सिवनी। हिंदी और विश्व साहित्य के महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के सौवें जन्मदिवस पर विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने उनका स्मरण कर अवदान को याद किया।
प्राचार्य डॉ रविशंकर नाग, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने हरिशंकर परसाई के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की। बतौर मुख्य वक्ता डाॅ रविशंकर नाग ने कहा कि परसाई जैसा रचनाकार युगों बाद पैदा होता है। कहा कि परसाई के व्यंग्य हिंदी की धरोहर हैं।
हिंदी विभाग की अध्यक्ष डाॅ सविता मसीह ने कहा कि परसाई युगदृष्टा रचनाकार थे। परसाई ने शूद्र मानी जाने वाली व्यंग्य विधा को उत्कृष्ट रूप प्रदान किया। कहा कि परसाई के व्यंग्य निबंधों में समाज सुधार की प्रेरणा है। बताया कि छह खंडों में परसाई रचनावली प्रकाशित है, जिसे पढ़ा जाना चाहिए।
विशेष वक्ता के रूप में प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने बताया कि परसाई का साहित्य स्वाधीन भारत को समझने का जीवंत प्रमाण है। परसाई की रचनाओं में हमारे वर्तमान की समस्याओं का हल है। कहा कि परसाई का साहित्य लोकतंत्र का सजग प्रहरी है। कहा कि भारतीय समाज की विषमताओं, विडंबनाओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यंग्य को हथियार बनाकर एक योद्धा की तरह संघर्ष किया।
कार्यक्रम का संचालन जनभागीदारी शिक्षक विकास मेश्राम ने किया। कहा कि आज से पूरे देश में परसाई जन्म शताब्दी वर्ष मनाया जाएगा। शिक्षक विजेन्द्र बरमैया ने उपस्थित छात्र छात्राओं को साहित्यिक कार्यक्रमों में उपस्थित होने का आग्रह करते हुए आभार जताया। कार्यक्रम में यूजी पीजी विद्यार्थियों सहित अन्य विभागों के सदस्य उपस्थित रहे।

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