धर्म सिवनी

सत्य को अपनाने से ही हो सकते हैं भगवान के दर्शन

सिवनी। भगवान को पाने के लिए बहुत ज्यादा विधान करने की जरूरत नहीं है। केवल जीवन में सत्य बोलने का निश्चय कर लीजिए। अपने घर-परिवार में, समाज में अपने व्यवहार में सत्य ही हो तो कोई भी पूजन पाठ करते हुए भी भगवान की कृपा आपको अवश्य मिलेगी। उक्ताशय की बात कथा वाचक हितेंद्र शास्त्री ने लूघरवाड़ा में जारी श्रीमद्भागवत कथा में बुधवार को श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा में श्रद्धालुजनों से कही।

मुक्ति का मार्ग करने के लिए अनेक उपाय है। माया का नही भगवान के नामों की माला को अपनाना चाहिए। व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।

कथा व्यास हितेंद्र शास्त्री ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। शास्त्री ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा।

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