https://youtu.be/84jDYj5joDI
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सिवनी। सरकारी नौकरी पाकर कुछ लोग अपने मूल कर्तव्य से विमुख हो जाते हैं तो वहीं कुछ शिक्षक धन के इतने लोलुप हो जाते हैं कि वे स्कूल के छात्रों को पढ़ाने के नाम पर मोटी रकम तो सरकार से लेते हैं लेकिन बच्चों को पढ़ाने के नाम पर दगाबाजी करते हुए सांठगांठ से स्कूल विलम्ब से जाकर या झूठा अवकाश लेकर अपना अन्य व्यवसाय ज्यादा चलाते हैं और लोभ, मोह, माया में ही संलिप्त नजर आते हैं। वहीं कुछ ऐसे शिक्षक भी होते हैं जो स्कूल को स्कूल नहीं अपने घर, परिवार से भी कहीं अधिक मानते हुए स्कूल को मंदिर और विद्यार्थी को भगवान मानते हैं। अपने वेतन का कुछ हिस्सा स्कूल के विकास, सौंदर्यीकरण, विद्यार्थियों को अधिक से अधिक बेहतर, होनहार बनाने में अपना तन-मन-धन सब कुछ न्योछावर करने से पीछे नहीं रहते हैं। ऐसे ही एक शिक्षक संजय तिवारी हैं। जो अपने स्कूल के विद्यार्थियों को अपनी संतान जैसा मानकर उन्हें स्नेह व मित्रवत व्यवहार के साथ शिक्षा का पाठ पढ़ा कर देश का सच्चा, नेक इंसान बनाने में पूरी शिद्दत से जुटे हैं।
जिला मुख्यालय से जबलपुर रोड स्थित महज 10 किलोमीटर दूरी दूर पर स्थित शासकीय माध्यमिक स्कूल भोगाखेड़ा स्कूल आज किसी मंदिर से कम नजर नहीं आता है। सरकारी स्कूल किसी मंहगे निजी स्कूल से कम नजर नहीं आता है। यहां के संस्कारवान, शिष्ट, व्यवहारिक बच्चों को देख अभिभावकों ग्रामवासियों की ही नहीं अपितु यहां पहुंचने वाले कलेक्टर, आला अधिकारियों, शिक्षा विभाग के अधिकारियों, जनप्रतिनिधि का भी मन यहां के सभी शिक्षकों के इस कार्य को देख प्रफुल्लित हुए बिना नहीं रह पाता है। स्कूल में बच्चों को सरल तरीके से पढ़ाने कि जहां नए और अनूठे तरीके शिक्षक ने बनाए हैं। वही स्कूल में बच्चे की अचानक तबीयत खराब हो जाए तो उसे सर्वप्रथम तत्काल की प्राथमिक उपचार व्यवस्था भी कैसे की जाए इसके लिए भी एक छोटा सा क्लीनिक भी है, जिससे बच्चों को योग और स्वास्थ्य की शिक्षा भी यहां मिल जाती है। बच्चे मध्यान भोजन बेहतर तरीके से कर सकें इसके लिए भी स्वच्छ व सुविधाजनक व्यवस्था बनाई गई है।

शिक्षक संजय तिवारी अपनी सुपुत्री का जन्मदिन भी घर पर नहीं मनाते। वह इस जन्मदिन को स्कूल में और स्कूल के बच्चों के साथ ही मनाना उचित समझते समझते हैं।
एक शिक्षक जिसके लिए स्कूल है तीर्थ स्थान वर्तमान समय में शिक्षा का निजीकरण हो गया है अच्छे विद्यालयों में दाखिले के नाम पर मोटी मोटी रकम वसूल की जाती है और शिक्षा के रूप में नाममात्र की शिक्षा दी जाती है ऐसे समय में ग्रामीण परिवेश के एक शिक्षक संजय तिवारी के द्वारा अपने विद्यालय को मात्र एक शासकीय संस्था ना मानकर तीर्थ स्थान माना जाता है और अपने विद्यार्थियों को ईश्वरतुल्य मानकर उनके लिए विद्यालय में सभी तरह की शैक्षणिक सुख सुविधाएं जन सहयोग के माध्यम से एकत्रित की गई है सर्वप्रथम शिक्षक ने स्वंयम को प्राप्त राज्यपाल पुरस्कार के रूप में प्राप्त राशि 25000 से विद्यालय में इमल्शन और पेंट से नया रूप प्रदान किया बच्चों को टाई बेल्ट और आईकार्ड प्रदान किये जिससे वे प्राइवेट विद्यालय के विद्यार्थी के समान दिखाई दे। उसके बाद जनसहयोग से भारतीय पद्धति पर आधारित मध्यान्ह भोजन मंच का निर्माण करवाया जिसमे बैठकर 100 बच्चे एकसाथ भोजन प्राप्त करते हैं बच्चों के खेलने के लिए विद्यालय प्रांगण में ओपन जिम के सभी उपकरण लगवाए ,नवीन टेक्नोलॉजी की शिक्षा प्रदान करने के लिए दो कक्षों में स्मार्ट क्लास लगवाई गई। बच्चों के सर्वांगीण विकास को देखते हुए विद्यालय के एक कक्ष में पुस्तकालय का निर्माण किया गया देश-विदेश ज्ञान विज्ञान, संस्कृति, भूगोल और इतिहास से संबंधित पुस्तकें रखी जिससे उनका समुचित विकास हो सके। विज्ञान के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने हेतु विद्यालय में स्वयं के व्यय से प्रयोगशाला का निर्माण कराया जाकर उसमें प्रयोगशाला से संबंधित सभी उपकरण रखें। शिक्षक को अगस्त 2020 में स्वयं के ब्लड कैंसर का पता चला जिसके इलाज के दौरान शिक्षक का मनोबल लगातार इस बात पर बना रहा कि उन्हें अपने विद्यार्थियों के लिए अभी बहुत कुछ करना है और इस बीमारी के सामने हारना नहीं है लगातार पांच माह तक 28 कीमोथेरेपी चिकित्सा लेने के बाद शिक्षक संजय तिवारी पूर्णत: स्वस्थ हो गए और अपनी पूरी ऊर्जा के साथ विद्यालय के सर्वांगीण विकास में पुनः लग गए ।
शिक्षक ने बताया वर्तमान में डिजिटलाइजेशन का शिक्षा में उपयोग करने हेतु उनका सपना है कि विद्यालय में स्मार्ट बोर्ड से अध्यापन कार्य कराया जाए जिससे विद्यार्थी को सभी तरह की जानकारी ऑनलाइन तुरंत प्रदान की जा सके,साथ ही विद्यालय में विद्यार्थियों के कंप्यूटर शिक्षा प्रारंभ करने हेतु 5 कंप्यूटर की आवश्यकता भी है इस हेतु प्रधान पाठक ने आग्रह किया है की जो भी व्यक्ति नन्हे मुन्ने बच्चों की उच्चकोटि की शिक्षा प्रदान करने हेतु विद्यालय में आर्थिक सहयोग करना चाहते हैं विद्यालय के खाता क्रमांक 63043110288 में ऑनलाइन या फ़ोन पे 8770448100 पर सहयोग प्रदान कर सकते हैं। जिसका विधिवत रजिस्टर में संधारण किया जाता है और किसी भी समय कोई भी दानदाता इसका निरीक्षण कर सकता है ।अभी तक जन सहयोग के माध्यम से विद्यालय को तीन सीलिंग फैन, वजन नापने की मशीन, एक दीवार घड़ी,6 फाइबर की कुर्सियां और दो लोहे के बड़े सोफे प्राप्त हुए हैं।
प्रधान पाठक ने बढ़-चढ़कर सहयोग करने हेतु दानदाताओं से विनम्र अपील की है ।
संजय तिवारी
प्रधानपाठक
शासकीय माध्यमिक विद्यालय भोंगाखेड़ा ( कक्षा 1 से 8 तक)
जिला सिवनी,480661,मध्यप्रदेश ,भारत
मोबाइल 8770448100



























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