सिवनी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मिनी कार्यकर्ता एवं सहायिका विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए शनिवार को दोपहर लगभग 3 बजे बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंची। उन्होंने प्रधानमंत्री महिला बाल विकास प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रमुख सचिव, आयुक्त संचनालय महिला एवं बाल विकास विभाग के नाम लिखा ज्ञापन तहसीलदार को विभिन्न मांगों का ज्ञापन सौंपा।
मध्य प्रदेश बुलंद आवाज नारी शक्ति आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका संगठन भोपाल के बैनर तले जिलेभर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मिनी कार्यकर्ता व सहायिका बड़ी संख्या में एकत्रित होकर शनिवार को दोपहर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंची। उन्होंने अपनी समस्या में बताया कि श्रम आयुक्त द्वारा वेतन हमेशा परिवर्तित करके दिया जाता है। उन्होंने मांग की कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मिनी कार्यकर्ता के लिए भी यह परिवर्तन प्रक्रिया लागू किया जाए। उन्होंने बताया कि विभाग में कार्यरत कार्यकर्ता सुरक्षित नहीं है।
महिला बाल विकास विभाग में अपने कार्यों को करते हुए अन्य विभागों के भी कार्य करना पड़ता है। इस कोरोना काल में भी अप्रैल 2020 में आंगनवाड़ी लगने का टाइम नहीं दिया गया। संचनालय का एक पत्र मिला जिसमें लिखा 2 घंटे केंद्र लगाए जाएं परंतु विभाग के अधिकारी व पर्यवेक्षकों के माध्यम से कहा गया कि आंगनवाड़ी केंद्र सुबह 9 बजे से शाम 4:00 बजे तक खुले रहेंगे। यह पूरे प्रदेश में 52 जिलों में कार्यक्रम चलाया जा रहा है। आए दिन कई बार पर्यवेक्षक द्वारा जानकारी लेने के लिए बैठक बुलाई जाती हैं। कोरोना काल के चलते सभी लोगों के लिए नियम लगाए गए हैं। महिला बाल विकास विभाग में कार्यरत कार्यकर्ताओं के लिए कोई नियम नहीं है।
मध्यप्रदेश बुलंद आवाज नारी शक्ति आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका भोपाल संघ संगठन भोपाल की अध्यक्ष मोहनी सनोडिया सचिव रामपुरी के ने बताया कि विभाग में अधिक कार्य करने के बावजूद भी मानदेय काटा जाता है। सेवा समाप्त की जाती है।
कार्यकर्ताओं को ऐसे प्रताड़ित किया जाता है जिसका कोई अंत नहीं है सभी ने न्याय दिलाए जाने की मांग की है। इसके साथ ही महिला बाल विकास विभाग में के परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक पदों पर पुरुषों को नियुक्त न किए जाएं ताकि कार्यकर्ताओं को मानदेय में होने के कारण पद से पृथक करने की धमकी देकर शारीरिक एवं मानसिक करते हैं। रुपये के बल पर उच्च अधिकारियों को फेवर में करके कार्यकर्ताओं को बदनाम किया जाता है। ऐसे अधिकारियों को महिला एवं बाल विकास विभाग में नौकरी करने का कोई हक नहीं है। मांगे पूरी नहीं होगी ऐसी स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए बाध्य होने की बात भी कही गई है। मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। इसके साथ ही 25 फरवरी तक पत्रों का संतोषजनक जवाब न मिलने पर 26 फरवरी को अनिश्चितकालीन हड़ताल आंदोलन शुरू कर दिया दिए जाने की चेतावनी शासन प्रशासन को दी गई है जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। अपनी विभिन्न मांगों में बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता, सहायिकाओं को नियमित किया जाए। रिटायरमेंट होने पर कार्यकर्ता को पाच लाख एवं सहायिका को 3 लाख एकमुश्त दिया जाए। वर्तमान राज्य सरकार द्वारा अक्टूबर 2019 से 15 सो रुपए बढ़ाया गया था वह एरियस सहित वर्तमान सरकार द्वारा दिया जाए। कोरोना काल में कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं को 10 हजार प्रोत्साहन रूप में देने को कहा गया था जो नहीं दिया गया। उसे भी तत्काल दिया जाए। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की सेवा समाप्त करने की प्रक्रिया बंद किया जाए। न्याय के लिए सुनवाई का मौका भी दिया जाए। अधिकारियों का अफसरशाही व्यवहार पर रोक लगाकर मार्गदर्शक एवं गार्जियन के रूप में पेश होने की भी बात कही। इसके साथ ही 4 माह तक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता, सहायिकाओं को मानदेय नहीं दिया जाता है। नियम अनुसार प्रति माह में 10 तारीख तक विभाग द्वारा मानदेय दे दिया जाना चाहिए। कई माह तक मानदेय न मिलने पर छोटे सेवक लोग अपना जीवन यापन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही आंगनवाड़ी भवन बना कर दिया जाए। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका की ड्रेस बार-बार परिवर्तन ना किया जाए। अन्य विभागों की तरह एक ही ड्रेस रखी जाए। जहां पर भवन की सुविधा नहीं है वहां किराए के भवन की सुविधा की जाए एवं उन्हें समय पर किराए का भुगतान भी कराया जाए। मध्य प्रदेश की सभी 52 जिलों में पदस्थ अधिकारी एवं पर्यवेक्षक का अलग-अलग जिलों में स्थानांतरण किया जाए ताकि शासन द्वारा दिए गए कार्य शोषण मुक्त होकर कार्यकर्ता सुचारू रूप से कार्य कर सकें। महिला एवं बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक पद में पुरुषों को पदस्थापना ना किया जाए। यह गंभीर विषय है। उच्च अधिकारी इस पर गंभीरता से निर्णय लें। साप्ताहिक पोषण आहार विभाग द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों तक पहुंचा कर दिया जाए। प्रत्येक समय आहार लेने पर 200-300 तक का खर्च पड़ता है। इतना खर्च करने की कार्यकर्ता में क्षमता नहीं है। विभाग से सहयोग की अपेक्षा है वही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को शासन द्वारा मोबाइल दिया जाए। विभाग द्वारा दबाव डालकर मोबाइल खरीदने की धमकी ना दी जाए। वही विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पर दबाव बनाकर ऑनलाइन फीडिंग करवाया जा रहा है जो कि कार्यकर्ता मजबूरन ऑनलाइन फिटिंग कर रही हैं। जिनका विभाग द्वारा मोबाइल के रिचार्ज की राशि नहीं जाती। शासन को इन कार्यों में सुधार किया जाना चाहिए।
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