सिवनी/किंदरई। विकासखंड घंसौर के अंतर्गत ग्राम पंचायत पौड़ी में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के माध्यम से कथावाचक आचार्य दीपक कृष्ण महाराज के द्वारा कथा के चतुर्थ दिवस की कथा में महाराज ने बताया।
आज के दिन मां भगवती कुष्मांडा की उपासना होती भगवान वेदव्यास जी के पुत्र सुखदेव जी गृहस्थ जीवन को स्वीकार नहीं कर रहे थे भगवान वेदव्यास जी को सुखदेव जी को जनकपुर में भेजा विदेह र राज जी के उपदेश के माध्यम से महाराजश्री ने बताया कि गृहस्थ जीवन बड़ा श्रेष्ठ है। इसी गृहस्थ आश्रम से चारो आश्रम चलते हैं यदि सद गृहस्थ नहीं होंगे तो संतो को भिक्षा कौन देगा।
महापुरुषों का जन्म भी सद गृहस्थी के यहां ही होता एक-एक सीढ़ी चढ़कर हमें सभी आश्रमों का पालन करना चाहिए यह हमारी इंद्रियां बड़ी बलवती होती बड़े-बड़े विद्वान महापुरुषों को भी या मोहित कर देती है इसीलिए व्यक्ति को मन का भरोसा नहीं करना चाहिए गृहस्थ बंधन का कारण नहीं है बंधन का कारण तो हमारा मन है इसी मन को यदि हम संसार में लगाएंगे संसार के विषयों में लगाएंगे तो बंधन है इसी मन को हम मां भगवती के चरण कमलों में लगा दे तो यह मुक्ति के मार्ग को प्रशस्त कर सकता है।
निष्ठा पूर्वक ईमानदारी पूर्वक न्याय पूर्वक धन कमाकर के व्यक्ति गृहस्थ में रहकर के भी मुक्त हो जाता है कुंती और कर्ण के चरित्र के माध्यम से महाराज श्री ने बताया है कि जीवन में दान करने की भावना होना चाहिए हम वितरण करना सीखें दानवीर ओ में कर्ण का बहुत बड़ा नाम है दान करने से द्रव्य की शुद्धि होती है महापुरुषों की मंत्रों की कभी भी परीक्षा नहीं लेनी चाहिए परीक्षा नहीं लेनी चाहिए मंत्रों के प्रति हमारी श्रद्धा हो विश्वास हो तो हमें फल की प्राप्ति महाराज शांतनु और गंगा के चरित्र के माध्यम से पांडु और धृतराष्ट्र की जन्म की कथा बताएं पांडवों की जन्म की कथा को बताते हुए महाराज श्री ने बताया कि हमें धर्म का आचरण करना चाहिए जब हम अपने धर्म की रक्षा करेंगे जब हम धर्म पथ पर चलेंगे तो वही धर्म हमारी रक्षा करेगा पांडवों का जीवन धर्म मैं है आजकल हमने धर्म को जातिवाद से बांध दिया धर्म कोई जातिवाद नहीं प्रत्येक मनुष्य का प्रत्येक जीव का अपना धर्म होता धर्म क्या है जो धारण करने योग्य है उसे हम धर्म के थे गो की महिमा को बताते ही महाराज श्री ने बताया आज गौ माता के ऊपर बहुत बड़ा संकट है और गौमाता साक्षात धर्म का ही स्तंभ है हम सबको मिलकर के गौ माता की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए तभी हमारे धर्म की रक्षा हो पाएगी तभी हमारे देश में शांति हो सकती हैं।

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