सिवनी। बिना शक्ति के किसी भी प्राणी, पदार्थ की गति संभव ही नहीं है। व्यक्ति को हमेशा सच ही बोलना चाहिए लेकिन विषम परिस्थितियों में झूठ भी बोला जा सकता है जब झूठ बोलने का निहित उद्देश सामने वाले की भलाई करना हो, उसके प्राणों की रक्षा करना हो तो वह झूठ भी सत्य से बड़ा हो जाता है। उक्त आशय की बात काशी बनारस से आए कथावाचक हितेन्द्र शास्त्री ने मठ मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् देवी भागवत महापुराण में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुजनों से कहीं।
मठ मंदिर परिसर में आचार्य क्षितिज तिवारी श्रीधाम द्वारका के द्वारा विधि विधान से यज्ञ भी किया जा रहा है।
इस धार्मिक आयोजन के आयोजक यशोवर्धन मिश्र ने मां भगवती की पूजा व श्रीराम महायज्ञ के महत्व की जानकारी श्रद्धालुजनों को दी।
कथा प्रवक्ता हितेंद्र पांडे ने आगे बताया कि श्रीमद् भागवत महापुराण व श्रीमद् देवी भागवत महापुराण में कोई भेद नहीं है। दोनों एक ही हैं। यह 18 महापुराणों में एक है। वेद को चार भागों में विभक्त करने वाले, महाभारए 18 पुराण व ब्रह्मसूत्र के रचयिता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यासजी महाराज द्वारा रचित इस महापुराण में 12 स्कंध, 318 अध्याय व 18 हजार श्लोक हैं।
शास्त्री ने श्रीमद्देवी भागवत महापुराण का महत्व बताते हुए कहा कि भगवती मां आद्या सनातनी शक्ति मां दुर्गा की साक्षात् वांगमय विग्रह हैं।
बिना शक्ति के किसी भी प्राणी, पदार्थ की गति संभव ही नहीं है। मां जिनको कहा गया है, उनके 51 शक्तिपीठ हैं। वैष्णो, चामुण्डा, महाकाली, अम्बिकाए दुर्गा आदि-आदि नामों से प्रसिद्ध भगवती मां के कृपामय चरित्रों का सागर है श्रीमद् देवीभागवत महापुराण।
शास्त्रीजी ने कहा कि श्रीमद् देवी भागवत कथा का विस्तार से निरूपण करते हुए कहा कि स्कन्द पुराण के रेवा खण्ड में पांच अध्यायों में वर्णित प्रथम महात्म्य की कथा है। इसमें वैवस्वत मनु के पुत्र सुद्युम्न की कथा है, जो आदिदेव महादेव भगवान शिव के बनाए किम्पुरुष नामक क्षेत्र में प्रवेश कर स्त्री बन गए थे।
वासन्तिक नवरात्र के चलते यहां प्रतिदिन सुबह 9 से 10:30 बजे तक सहस्त्र अर्चन व प्रतिदिन सुबह 11:30 से दोपहर 2:30 बजे तक यज्ञाहुतियाँ दी जा रही हैं तथा दोपहर 3 बजे से 6:00 बजे तक श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा का वाचन किया जा रहा है। रविवार 10 अप्रैल को मध्यान्ह काल में श्रीराम नवमी महामहोत्सव यज्ञ मंडप में श्री राम जन्म अभिषेक तत्पश्चात पूर्णाहुति गोधूलि लग्न में कथा समापन होगी। साथ ही 11 अप्रैल सोमवार को यज्ञ स्थल पर दोपहर 12:00 से महाप्रसाद वितरण किया जाएगा।






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