सिवनी। अमरवाड़ा रोड स्थित मुंगवानी के समीप गांव धतुरिया में 21 जनवरी से शुरू हुई संगीत में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का समापन 29 जनवरी को सुदामा चरित्र परीक्षित मोक्ष कथा का वृतांत सुनाकर किया गया।
कथावाचक पं. जितेंद्र महाराज ने इस अवसर में बताया कि संसार में मित्रता केवल श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए। जिन्होंने अपने मित्र को कष्ट नहीं होने दिया बल्कि श्रापित चने स्वयं खाकर गरीबी स्वीकार कर ली। वहीं दूसरी ओर भगवान श्रीकृष्ण ने भी मित्रता का धर्म बखूबी निभाया। जहां श्रीकृष्ण सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। जिसे देख सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड चौंक गया था। पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल से पग धोए अर्थात श्रीकृष्ण अपने बाल सखा सुदामा के आगमन पर उनके पैर धोने के लिए पानी मंगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा को देखकर इतना दुख हुआ कि प्रभु के आंसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए।
कथा आयोजक गजराज श्रीमती अनुसूईया बघेल, दिलीप-सद्भावना बघेल ने बताया की कथा श्रवण करने आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित हुए। निवास स्थान पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के अंतिम दिन श्रीमद् भागवत का रसपान करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। महाराज ने भागवत कथा के अंतिम दिन कई प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया। इसमें वासुदेव-नारद संवाद, सुदामा प्रसंग, परीक्षित मोक्ष की कथा का बड़े ही रोचक अंदाज में वर्णन किया। कथा के समापन अवसर पर हवन किया गया व भंडारा प्रसाद वितरण भी किया गया।
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