ध्रुव-प्रहलाद जैसी हो संतान : पं. सूरज कृष्ण शास्त्री

सिवनी। राजपुत कॉलोनी में चल रही श्रीमद् भागवत के तीसरे दिन पं. सूरज कृष्ण शास्त्री ने भागवत में आए विविध प्रसंगों पर कथा कही। उन्होंने वराह अवतार के साथ सोमवार की कथा प्रांरभ की। उसके बाद कपिल अवतार, सती और महादेव प्रसंग के बाद ध्रुव व प्रहलाद चरित्र सुनाया।

उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर कहा जाता है कि बुढ़ापे में भगवान का भजन अच्छे तरीके से होता है, लेकिन ध्रुव और प्रहलाद ने तो अपनी भक्ति से बचपन में ही भगवान को पा लिया। उन्होंने कहा कि प्रहलाद तो असुर कुल में पैदा हुए थे, लेकिन भगवत भक्ति से वे विमुख नहीं हुए इसलिए उसका बाल भी बांका नहीं हुआ और उनके विश्वास पर भगवान को खंभे से प्रकट होना पड़ा। ध्रुव पर अपनी माता सुमति के संस्कार थे और उन्हीं की आज्ञा व प्रेरणा से ध्रुव ने साधना की और जो स्थान हजारों सालों की तपस्या के बाद ऋषि मुनि नहीं पा सके।

ध्रुव ने वो अटल स्थान प्राप्त किया। आज के समय में बच्चों को ऐसे संस्कार दें कि वे अपने लक्ष्य की ओर बचपन से ध्यान केंद्रित करें और उससे भटके नहीं।

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