सिवनी/केवलारी। नाम सिविल हॉस्पिटल लेकिन स्थिति बद से बदतर। स्वास्थ सुधारों को लेकर नाकाम भारतीय जनता पार्टी की सरकार एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते सिविल हॉस्पिटल केवलारी की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। नाम बड़े और दर्शन छोटे को चरितार्थ करता सिविल हॉस्पिटल केवलारी में राजनीति संरक्षणता नेआयोग्यता को स्वीकार किया हुआ है।
अप्रैल 2021 से खंड चिकित्सा अधिकारी के पद पर ऐसे चिकित्सक की पदस्थापना की गई है जो कि संविदा चिकित्सक के रूप में पांडिया छपारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ हैं। संविदा सेवा चिकित्सक को इतने विशालतम क्षेत्र के मुख्य अस्पताल का दायित्व देकर सरकार ने यह सिद्ध कर दिया की राजनीति के आगे योग्यता कोई काम नहीं आती बीएमओ की आर्हताये देखे बिना अधिकारियों ने संविदा चिकित्सक को दायित्व दे दिया। जिसका परिणाम यह आ रहा है कि प्रबंधन , स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चौपट हो गई।
वार्ड में उपचार की जगह रेफर की परम्परा, 50 बिस्तरों का अस्पताल 24 घंटे मरीजों से भरा रहने वाला अपनी कहानी स्वंय वया कर रहा है।
अंधेरे के साये में वरामदा, परिसर गंदगी से लबालब कोविड-19 या मौसमी बीमारी की खानापूर्ति, स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह जमींदोज। 78 पंचायतों के विशालतम क्षेत्र में आमजनों के जीवन का आधार अस्पताल बद इंतजाम, अनुभव हीनता की कहानी बयां कर कर रहा है। क्षेत्रवासियों ने आरोप लगाते हुए बताया कि पांडिया छपारा के संविदा डॉक्टर के आने के बाद से डॉक्टर ना तो दिन में नजर आते हैं और ना रात में निर्धारित ड्यूटी समय पर नजर आते हैं। साथ ही वित्तीय प्रभार भी दे दिया गया है जो कि यह घोर अनियमितता के दायरे में आता है। इस मामले में सीएमएचओ से पूछे जाने पर भी वे संतोषप्रद उत्तर नहीं दे रहे हैंऐसे में कोई बड़ी घटना घट जाए और जांच के मामले में कारवाही किस पर होगी यह भी प्रश्न चिन्ह बना रहेगा? केवलारीवासियों ने मांग की है कि शीघ्र ही केवलारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्थाएं सुधारी जाए।
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