सिवनी। कोरोना काल में कहीं शासन प्रशासन की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं कही-कही पूरी तरह से ध्वस्त नजर आती हैं तो कहीं अपनों के किसी के गुजरने की स्थिति में परिजन अस्पताल से घर और घर से मोक्षधाम तक शव को ले जाने में तरह-तरह की विषम परिस्थितियों से जूझता नजर आ रहा है। ऐसा ही कुछ मार्मिक दृश्य गुरुवार को कुरई में देखने को मिला जहां अपनों के गुजर जाने से इस कोरोनाकाल में शव को घर से आधा किलोमीटर दूर मोक्षधाम तक शोकाकुल परिजनों की ले जाने के लिए हाथ ठिलिया में ले जाते हुए देखा गया।
कुरई में एक बुजुर्ग की मौत के बाद शव वाहन नहीं मिलने से स्वजन बुजुर्ग के शव को हाथ ठिलिया में रख कर मोक्षधाम तक ले गए। इसके वीडियो व फोटो इंटरनेट मीडिया में वायरल होने के बाद जब कुरई बीएमओ से बात की गई तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मृतक के स्वजनों ने शव वाहन की कोई मांग नहीं की। यदि वे वाहन वे मांग करते तो आधे घंटे इंतजार के बाद उन्हें वाहन उपलब्ध करा दिया जाता।
कुरई मुख्यालय में बीमारी के कारण ब्लाक कॉलोनी निवासी बलवंत सेन (60) का निधन हो जाने पर स्वास्थ्य केंद्र में शव वाहन ना होने से परिजनों को हाथ ठिलियां में रखकर शव को मोक्षधाम तक पहुंचाना पड़ा।
जानकारी के मुताबिक बलवंत सेन पिछले माह कोरोना संक्रमित हो गए थे। इलाज के बाद 10 से 12 दिनों में उन्होंने कोरोना से जंग जीत ली थी। क्षेत्र के लोगों ने बताया कि वह घर पर अकेले रहते थे। परिवार के अन्य सदस्य बालाघाट क्षेत्र में रहते हैं। कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद वह काम भी करने लगे थे। बीते दो दिनों से वह अकेलेपन के कारण घर से वाहर नहीं निकले और न ही खाना बनाकर खाया। गुरूवार को सुबह क्षेत्र के लोगों ने उन्हें घर पर मृत देखा तो इसकी सूचना मृतक के स्वजनों को दी।
जानकारी के मुताबिक सूचना के बाद मृतक के गांव पहुंचे। अंतिम संस्कार के लिए स्वजनों ने शव वाहन के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन वाहन उपलब्ध नहीं होने पर स्वजनों ने अंत में अंतिम यात्रा की तैयारी प्रारंभ की। सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए पीपी किट पहनकर स्वयं स्वजनों ने पार्थिव देह को हाथ ठिलियां में रखकर मोक्षधाम तक ले गए। यहां पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के चलते जहां सरकार ने हर जिलों को इलाज से लेकर अंतिम संस्कार तक की सारी सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही है। यहां तक कि कहा जाता है कि कोरोना महामारी के दौरान मृत हुए लोगों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के लिए वाहन अनिवार्य है, लेकिन कुरई विकासखंड आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के साथ ही महाराष्ट्र की सीमा से लगा होने के बावजूद भी जिला प्रशासन ने यहां शव वाहन की व्यवस्था नहीं की है। इससें ग्रामीणों को कदक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीणों व समाजसेवी संगठनों ने जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से तत्काल शव वाहन की व्यवस्था करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि बलवंत की मौत ने लोगों को यह संदेश दिया है कि अब इस तरह की चूक दोबारा ना हो। जिसको लेकर सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है।
इस मामले में बीएमओ कुरई डॉक्टर अभिषेक रैकवार ने बताया कि मृतक को पिछले माह कोरोना संक्रमण हुआ था। इससे वह ठीक हो गया था। स्वजन बाहर रहने के कारण वह अकेले रह रहे थे। दो दिनों से वह घर से बाहर नहीं दिखे थे। गुरूवार को उनकी मौत के बाद स्वजनों ने आकर अंतिम संस्कार कर दिया। वाहन की कोई मांग उन्होंने नहीं की। यदि वह मांग करते तो वाहन उपलब्ध करा दिया जाता।
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