सिवनी। कृषि विज्ञान केन्द्र सिवनी द्वारा आज विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर “भारत का अमृत महोत्सव” के अंतर्गत वर्चुअल माध्यम से “जैव विविधता संरक्षण एवं उद्यमिता विकास हेतु मधुमक्खी पालन” विषय पर प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ए पी भंडारकर द्वारा प्रतिभागियों को मधुमक्खियों के संरक्षण, जैव विविधता में मधुमक्खी का योगदान तथा मौनपालन से उद्यमिता की स्थापना कर ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु जानकारी दी गई। कोरोना महामारी के दौरान आयोजित वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के कुल 50 से अधिक किसानों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉक्टर भंडारकर द्वारा बताया गया की फल ,दालो, सब्ज़ी और अनाज वाली फसलों में मधुमखियों द्वारा परागण से 25 से 35 प्रतिशत तक उत्पादन में वृद्धि पाई गई है भारतवर्ष में मुख्यता पांच प्रकार के मधुमक्खियों की प्रजाति पाई जाती है जिसमें से इटैलियन मधुमक्खी एपीस मेलीफेरा का पालन व्यवसायिक स्तर पर किया जाता है इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर एनके सिंह द्वारा बताया गया कि यदि पृथ्वी से मधुमक्खियां विलुप्त हो जाए तो विश्व में मानव का अस्तित्व केवल 4 वर्षों तक ही संभव है यदि मधुमक्खियों का अस्तित्व संकट में होगा तो फसलों में परागण नहीं हो सकेगा एवं पौधों जानवरों और मनुष्यों कि प्रजातियां विलुप्त हो जायेंगी कार्यक्रम को सफल बनाने में रिलायंस फाउंडेशन सिवनी के टीम लीडर दिव्या पांडे और उनकी टीम का सक्रिय योगदान रहा
— — — — — — — — — — — — — — — — — — — — — ताजासमाचार पढ़ने के लिए न्यूज के नीचे दिए गए वाट्सएफ जवाइन निर्देश बॉक्स में दो बार क्लिक कर ग्रुप में ज्वाइन हो सकते हैं, या 94 2462 9494 सेव कर ज्वाइन की लिंक मांग सकते हैं। संतोष दुबे, सिवनी।