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वैश्वीकरण ने मानव अधिकारों पर डाला संकट : प्रो. बाटड

सिवनी। शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सिवनी में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें सिवनी, बालाघाट, छिन्दवाडा के विद्यार्थी एवं शिक्षकों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरूआत में संस्था प्रमुख डॉ. सतीश चिले ने अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों के पालन पर ध्यान आकर्षित किया।  डॉ. ज्योत्सना नावकर ने भारत के प्राचीन ग्रन्थों रामायण, महाभारत में भी मानवाधिकारों का उल्लेख है। इस पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रो. एस.के. बाटड ने भारत तथा विश्व में मानवाधिकारों के समक्ष आ रही चुनौतियों पर विस्तार से बताया। श्री बाटड ने कहा कि भारत एवं विश्व में बढ रही धार्मिक एवं जातीय, नस्लीय हिंसा मानवाधिकारों की राह में भटकाव है। विचार, अभिव्यक्ति एवं जीवन की स्वतंत्रता को हर हाल में संरक्षित रखना है। व्यक्ति के जीवन की गरिमा को बचाया जाना चाहिए।

वैश्वीकरण ने मानव अधिकारों पर संकट खड़ा कर दिया है। मानवाधिकारों पर खतरा बढेगा तो दुनिया में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भी खतरा आयेगा। जलवायु परिवर्तन का असर भी मानवाधिकारों के समक्ष कठिन चुनौती बनकर आयेगा। कोविड 19 के बाद विश्व में मानवाधिकारों के हनन के उदाहरण बढ रहे है। आज हमें इसका प्रण लेना चाहिये कि सतत विकास के साथ मानवाधिकारों की रक्षा एवं सम्मान भी करेंगे। सुशासन स्थापित करके ही मानवाधिकारों को बचाया जा सकता है। अन्त में आभार प्रदर्शन अर्थशास्त्र विभाग के डॉ. एम.सी.सनोडिया द्वारा प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के डॉ. अरविन्द चौरसिया, डॉ पवन वासनिक, डॉ, सविता मसीह, डॉ. मुन्नालाल चौधरी, डॉ. आशुतोष सिंह गौर एवं लगभग 70 विद्यार्थी एवं स्टॉफ वेबिनार से जुड़े रहे। 

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