‘हिंदी में ज्ञान का प्रकाश’ कार्यक्रम के तहत प्रबुद्ध संगोष्ठी का हुआ आयोजन
सिवनी। पूरे मध्यप्रदेश में हिंदी माध्यम में चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई का मार्ग प्रशस्त होने के अवसर पर उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार पीजी काॅलेज में ‘हिंदी में ज्ञान का प्रकाश ‘ कार्यक्रम के अंतर्गत प्रबुद्ध संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें जिले के साहित्यकारों और शिक्षाविदों ने हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए हिंदी को पूरी तरह से अपनाने की बात कही।
कार्यक्रम की विशेष वक्ता डाॅ आराधना राजपूत ने कहा कि हिंदी भाषा हमारा गौरव है। कहा कि हिंदी अब ज्ञान विज्ञान तकनीकी प्रौद्यौगिकी के साथ मेडीकल की पढ़ाई की भी भाषा बन चुकी है। सिवनी के लोकप्रिय साहित्यकार जगदीश तपिश ने अपने वक्तव्य में चिंता जताई कि हिंदी को अब तक राष्ट्र भाषा का दर्जा समुचित प्रकार से नहीं मिल सका है। कहा कि हिंदी अब विदेशों में भी अपनी धाक जमा रही है। शिक्षाविद् और साहित्यकार रमेश श्रीवास्तव चातक ने कहा कि हमें हिन्दी भाषा के प्रति स्वाभिमान की भावना को जागृत करना होगा। कहा कि जो राष्ट्रीय उन्नति के लिए मातृभाषा हिंदी से बढ़कर कोई विकल्प नहीं है। चातक ने अपना पूरा काम हिन्दी भाषा में करने का आग्रह किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ संध्या श्रीवास्तव ने कहा कि मातृभाषा हिंदी देश का गौरव है। हिंदी माध्यम से अब कोई भी विद्यार्थी चिकित्सा शिक्षा ग्रहण कर अपने सपने पूरे कर सकता है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि माँ, मातृभूमि और मातृभाषा सबसे बढ़कर होतीं हैं। माँ हमें जन्म देती है, मातृभूमि हमारा पालन करती है और मातृभाषा हमें जीवन जीना सिखाती है। कहा कि मातृभाषा हिंदी भारतीयता की पहचान है।
कार्यक्रम में उप प्राचार्य डाॅ अरविंद चौरसिया, कार्यक्रम प्रभारी डाॅ रविशंकर नाग, डाॅ एमसी सनोडिया, डाॅ सविता मसीह, प्रोफेसर विपिन मिश्रा, डाॅ रवीन्द्र दिवाकर, डाॅ सीमा भास्कर समेत सभी प्रोफेसर्स, शिक्षक, काॅलेज स्टाॅफ के सभी सदस्य तथा महाविद्यालय के छात्र- छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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