सिवनी। शक्ति हर काल और परिस्थिति में मनुष्य की सहयोगी होती है। हम सभी इस शक्ति को देवी के रूप में जानते और पूजते हैं। उक्ताशय की बात आचार्य श्री हितेन्द्र पाण्डेय जी काशी (मातृधाम) ने विकासखंड केवलारी के गांव पांजरा खेरमाई मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद् देवी भागवत पुराण में शुक्रवार को कहीं।
ग्रामवासियों ने बताया कि परम श्रद्धेय पूज्यपाद जगतगुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी स्वारुपानंद सरस्वती जी महाराज एवं भगवती ग्रामदेवी एवं माँ बैनगंगा की कृपा से ग्राम पांजरा में दिव्य एवं भव्य कार्यक्रम खैरमाई प्रांगण, पांजरा में आयोजित है। जिसके चलते यहां प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के चलते शनिवार 3 मई को विशेष पूजा की जाएगी।। वहीं कथा विश्राम एवं हवन प्रसाद भण्डारा 5 मई 2025, दिन सोमवार को होगा।
शास्त्री जी ने कृष्ण जन्म की कथा प्रसंग में बताया कि मथुरा के बंदीगृह में जन्म के बाद वासुदेव श्रीकृष्ण को गोकुल ले गए। वहां से एक कन्या को लाकर कंस को सौंप दिया। कन्या को मारने के प्रयास में असफल कंस को पता चला कि उसका काल गोकुल में जन्म ले चुका है।
कंस ने अपनी बहन पूतना को श्रीकृष्ण की हत्या के लिए भेजा। पूतना ने विष लगे स्तन से श्रीकृष्ण को दूध पिलाने का प्रयास किया। लेकिन श्रीकृष्ण ने उसके प्राण हर लिए। इसके बाद कंस ने शकटासुर को भेजा। श्रीकृष्ण ने उसका भी वध कर दिया।
कथावाचक ने आगे बताया कि एक दिन श्रीकृष्ण और बलराम जब गाय चरा रहे थे, तब बकासुर नामक राक्षस बगुले का रूप धारण कर आया। वह सभी ग्वाल बालों को निगल गया। श्रीकृष्ण ने अपना विराट रूप धारण कर बकासुर का वध किया। कथा के अंत में मंदोदरी के जन्म की कथा भी सुनाई गई।



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