सिवनी/बरघाट। जब अत्याचारी कंस के पापों का बोझ बढ़ गया, तब भगवान श्रीकृष्ण को अवतरित होना पड़ा। जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान अवतरित होते हैं। उक्ताशय की बात कथावाचक पं. दिनेश मिश्र ने गांव गोरखपुर में जारी श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन मंगलवार को श्रद्धालुजनों से कही।
आज कथा स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल जय कन्हैया लाल के जयकारों से गूंजने लगा। कृष्ण जन्मोत्सव के समय पूरे पंडाल को गुब्बारे, फूल मालाओं से सजाया गया, श्री कृष्ण जन्मोत्सव की सजीव झांकी निकाली गई। कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई। श्रद्धालुओं ने धूमधाम से संवाद के अनुसार जीवित प्रसंग का आनंद लिया।

पं. दिनेश मिश्र ने आगे कहा कि जीवन में अच्छे रास्ते पर जाना है तो संकल्प लेना जरूरी है हर बच्चे को अपने माता-पिता की बातों को मानना चाहिए और सबसे बड़ा भगवान माता-पिता ही होता है।
जिनके ऊपर माता-पिता का आशीर्वाद है उन्हें संसार में सब कुछ प्राप्त है। साथ-साथ हर एक माता-पिता को चाहिए अपने साथ अपने बच्चों को भागवत कथा हो सत्संग हो कीर्तन हो अपने साथ जरूर लाना चाहिए क्योंकि धर्म की कथा सुनने से बच्चों में संस्कार आते हैं। अपने जीवन को कृतार्थ करने के लिए भगवान के प्रति विश्वास रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मनुष्य इस सांसारिक मोह में फंस कर अपने जीवन को व्यर्थ गंवा देता है। यदि मनुष्य अपने मन के कुविचारों को निकाल कर परमेश्वर का ध्यान लगाता है तो वह मोक्ष की प्राप्ति करता है।
कंस की कारागार में वासुदेव-देवकी के भादों मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और वह गोकुल धाम पहुंचे। उनका लालन-पालन नंदबाबा के घर में हुआ था। बाद में श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध कर पृथ्वी को अत्याचार से मुक्त किया व अपने माता-पिता को कारागार से छुड़ाया।
कथा आयोजन डॉ. राधेश्याम ममता राहंगडाले ने बताया कि कथा का समापन शनिवार 29 मार्च को हवनपूजन, महाप्रसाद एवं पूर्णाहुति के साथ होगा।



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