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ना लड़की देंगे ना लेंगे, जो जरूरी है वही नहीं है इस नएगांव में

प्रदेश के सबसे बड़े वनग्राम में नेट की समस्या

सिवनी। मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा वनग्राम स्कूल जिले के कुरई विकासखंड के ग्राम नएगांव में है। घने जंगल व पेंच राष्ट्रीय उद्यान के बफर जोन में स्थित ग्राम पंचायत साखादेही के गांव नएगांव में कक्षा पहली से पांचवी तक छात्र-छात्राओं की दर्ज संख्या 51 है। जो ठीक-ठाक है। उक्त गांव के स्कूल में पदस्थ शिक्षकों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या है नेट की। स्कूल की किसी भी प्रकार की जानकारी देने के लिए शिक्षकों को यहां से लगभग 3 किलोमीटर दूर गांव जाना पड़ता है। गांव से लगभग 7 किलोमीटर दूर धोबीसर्रा में एक निजी कंपनी का टावर लगा है। जिसका सिग्नल गांव साखादेही तक ही मिलता है। सिग्नल (नेट) नहीं मिलने के कारण गांव के कुंवारे युवक-युवतियों की संख्या भी काफी ज्यादा है। शादी के लिए लोग आते हैं युवक-युवती को पसंद भी करते हैं लेकिन जब इसकी खबर अपने परिचितों को देने के लिए मोबाइल निकलते हैं तो नेट कवरेज नहीं मिलने की जानकारी लगते ही वे वैवाहिक संबंध बनाने से मना कर बैरंग लौट जाते हैं और दोबारा लौटकर गांव नहीं आते हैं।

उपचार, पुलिस सहायता से वंचित – पेंच के बफर जोन के हिस्से वाले गांव नएगांव में नेट नहीं मिलने से गांव में किसी महिला की डिलीवरी की सूचना देना हो या लड़ाई-झगड़ा, वन्य जीवों से घायलों की सूचना डायल 100 या 108 को देना हो तो ग्रामीण सूचना नहीं दे पाते हैं। सबसे ज्यादा समस्या रात के समय आती है। वन्य जीवों के हमले बाघ के विचारण के चलते ग्रामीण सूचना देने 3 किलोमीटर साखादेही जहां सिग्नल मिलता है वहां जाने से डरते हैं। जिससे सरकारी योजनाओं उपचार, सुरक्षा आदि की सुविधा समय पर नहीं ले पाते हैं।

आशा कार्यकर्ता, ग्रामीण, शिक्षण सब परेशान – प्रदेश के सबसे बड़े वनग्राम नएगांव के ग्रामीणों में यशवंत धुर्वे, आशा कार्यकर्ता शकुन इनवाती, संतोष धुर्वे, लेखन धुर्वे, भैया लाल धुर्वे, राहुल सरेआम, संतोष आदि ने बताया कि स्कूल की हाजिरी लगाने शिक्षक-शिक्षिकाओं को गांव से दूर अपने मोबाइल को लेकर जाना पड़ता है। गंभीर रूप से घायल व डिलीवरी महिलाओं तथा पुलिस प्रकरण की जानकारी देने में दिक्कतें आती हैं।

आजादी के पहले का है गांव – आजादी के पहले अंग्रेजों द्वारा वन्यजीवों के दीदार व हरियाली के बीच वर्ष 1942 में जो रेस्ट हाउसनुमा भवन का निर्माण कराया गया था। उक्त भवन में आज सरकारी स्कूल संचालित है यहां इको समिति द्वारा निर्मित बाल उद्यान भी है। लगभग 112 घर की बस्ती वाले गांव की आबादी लगभग 650 है। ग्राम पंचायत साखादेही के सरपंच धनसिंह सरयाम, सचिव राजपाल बघेल ने बताया कि ग्राम पंचायत साखादेही के अंतर्गत तीन गांव गौलीटोला, वनग्राम नएगांव और साखादेही जहां मात्र वनग्राम नए गांव के ही बच्चे वनग्राम के स्कूल में बड़ी संख्या में पढ़ते हैं।

बढ़ रही कुमारो की संख्या – ग्रामवासियों ने बताया कि गांव में टावर नहीं होने के कारण मोबाइल अनुपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। बैलेंस डलवाने के बाद भी व्हाट्सएप, फेसबुक आदि सोशल प्लेटफॉर्म का उपभोक्ता उपयोग ही नहीं कर पता है। शादी के लिए लोग बाहर से आते हैं और बेरंग लौट जाते हैं। गांव में लगभग 26 लड़के-लड़कियां शादी योग हैं। जिनकी उम्र भी ढल रही है। कुंवारों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में ग्रामवासियों ने वनग्राम नए गांव में ही टावर लगाए जाने की मांग शासन-प्रशासन से की है।

इनका कहना है

शकुन इनवाती आशा कार्यकर्ता

पंचायत, स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य शासन-प्रशासन की योजनाओं की जानकारी देने गांव से दूर 3 किलोमीटर दूर जाना-आना पड़ता है। जिसके चलते काम प्रभावित होता है। समय पर सूचना नहीं दे पाते हैं। शकुन इनवाती आशा कार्यकर्ता


राहुल सरेआम

सिग्नल नहीं मिलने से मोबाइल अनुपयोगी हो जाते हैं। इसका प्रभाव गांव के कुंवारे युवक-युवतियों पर भी पड़ रहा है, कुंवारों की संख्या बढ़ रही है। उनकी शादी की समस्या बनी हुई है। राहुल सरेआम

कुलदीप उइके

टावर के लिए सभी से कह चुके हैं। जनप्रतिनिधि, अधिकारी द्वारा लंबे समय से सिर्फ आश्वासन ही मिलते आ रहा है। हम सभी की मांग है कि वनग्राम के गांव में शीघ्र ही टावर लगे। कुलदीप उइके


लिखन धुर्वे

गर्भवती महिलाओं को तकलीफ होने पर मोबाइल से सूचना नहीं दे पाते हैं। बाहर के रिश्तेदारों से भी बातचीत नहीं हो पाती है। बात करने दूसरे गांव जाना-आना पड़ता है। लिखन धुर्वे

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