सिवनी। 20 दिसंबर 2024,गीता के ज्ञान से भगवान विष्णु , संसार का पालन करते हैं। भगवान के भावों को जिज्ञासु तक पहचाने का ज्ञान रूपी प्रवाह है गीता। जीव और ब्रह्म की एकता का बोध कराती है गीता।
उगताशय के प्रेरक उद्गार ब्रह्मलीन द्वि पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के विशेष कृपा-पात्र शिष्य ,गीता मनीषी ब्रह्मचारी श्री निर्विकल्प स्वरूप जी के मुखारविंद से आज गीता सत्संग महोत्सव के प्रथम दिवस नि:सृत हुए।
ज्ञायत्व्य है कि ,गीता पर भक्ति मंडल सिवनी के तत्वावधान में, श्रीमद् भगवद् गीता जयंती महोत्सव के उपलक्ष में प्रतिवर्ष अनुसार स्मृतिलन सिवनी में पंचदिवसीय गीता सत्संग महोत्सव 20 दिसंबर से 24 दिसंबर 2024 तक आयोजित है ।
आज प्रथम दिवस अपराह्न 4:00 बजे से सिंहवाहिनी मंदिर बारा पत्थर से प्रवचन स्थल स्मृतिलन सिवनी तक भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। गीता महारानी की शोभायात्रा का शहर में जगह-जगह आत्मीय स्वागत वंदन किया गया। शोभा यात्रा में गीता मनीषी पूज्य ब्रह्मचारी श्री निर्विकल स्वरूप जी, गीता परभक्ति मंडल सिवनी अध्यक्ष आचार्य सनत कुमार उपाध्याय, गीता पराभक्ति मंडल के दायित्ववान पदाधिकारी एवं सदस्य सिंहवाहिनी मंदिर महिला मंडल से श्रीमती शकुंतला तिवारी, ब्राह्मण समाज अध्यक्ष पंडित दिलीप तिवारी, वरिष्ठ सदस्य श्री करतार सिंह बघेल ,आयोजन संयोजिका श्रीमती ममता श्रीराम बघेल ,यजमान प्रतिनिधि पंडित बलराम दुबे, गीता पराभक्ति मंडल जबलपुर अध्यक्ष श्रीमती अशोक मिश्रा, पंडित श्री जी.एस.दुबे, पंडित ताराचंद दुबे,महामंत्री गणेश वर्मा, बसंत बघेल सहित सैकड़ो गीता प्रेमी श्रद्धालु नर-नारी शामिल हुए ।
आज प्रथम दिवस प्रवचन माला में, गीता मनीषी ब्रह्मचारी निर्विकल्प स्वरूप जी ने कहा कि, पूज्य सद्गुरु की पावन जन्मभूमि सिवनी में उनकी प्रेरणा से पिछले अनेक वर्षों से गीता सत्संग महोत्सव के माध्यम से गीता ज्ञान का प्रवाह जारी है । आप श्री ने मंगलाचरण गीता महात्म का वर्णन करते हुए श्रीमद् भगवद् गीता को जगत माता माँ निरूपित किया । आप श्री ने कहा कि गीता महाभारत के मध्य में स्वयं भगवान श्री कृष्ण के मुख से प्रकट हुई। गीता पाठ से जीवो का शोक और मोह दूर होता है। महाभारत युद्ध के पहले अर्जुन के शोक और मोह को दूर करने, सांख्य और कर्म योग आदि अस्त्र शस्त्र धारी 18 भुजाओं वाली भगवती गीत प्रकट हुई । गीता के ज्ञान से जीव और ब्रह्म में एकता का बोध होता है । स्मृति प्राप्ति के लिए श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया । गीता का फल भगवान के प्रति शरणागति है ।
आज प्रथम दिवस प्रवचन पंडाल में सैकड़ो की संख्या में गीता प्रेमी श्रद्धालु नर नारियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही । गीता पराभक्ति मंडल द्वारा समस्त गीता प्रेमियों से प्रतिदिन प्रवचन पंडाल में दोपहर 3:00 बजे से 6:00 बजे तक उपस्थित होकर गीता श्रवण का पुण्य लाभ अर्जित करने का विनम्र आग्रह किया गया है। प्रवचन की समाप्ति पर आज के प्रवचन से संबंधित प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया जिसमें 5 सुधी श्रेताओं को पूज्य ब्रह्मचारी जी के शुभ हस्ते पुरुस्कृत किया गया।
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