
सिवनी। मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार तथा पवन कुमार शर्मा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिवनी के कुशल मार्गदर्शन तथा सीके बारपेटे, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिवनी के निर्देशन में श्रीमती दीपिका ठाकुर, जिला विधिक सहायता अधिकारी की उपस्थिति में रविवार को समय प्रातः 10:00 बजे से 12:40 ऑनलाईन गूगलमीट के माध्यम से पैनल लॉयर्स का प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला न्यायालय सिवनी के वीडियो कॉफेसिंग हाल में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री पवन कुमार शर्मा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिवनी के उद्बोधन द्वारा किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीके बारपेटे , अपर जिला न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिवनी द्वारा पैनल अधिवक्ताओं को उनकी भूमिका व उत्तरदायित्व के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की । तत्पश्चात् श्रीमान सुनील कुमार मिश्रा, चतुर्थ अपर जिला न्यायाधीश सिवनी द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 57, 91, 167, 205, 311 & 319 Cr.P.C. के संबंध में समस्त पैनल अधिवक्तागणों को विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। तदुपरांत राजर्षि श्रीवास्तव, प्रथम अपर जिला न्यायाधीश सिवनी द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 में उपबंधित जमानत एवं बंधपत्र के बारे में जानकारी दी। संदीप श्रीवास्तव, तृतीय अपर जिला न्यायाधीश सिवनी द्वारा गवाहों की परीक्षा एवं तर्क के बारे में जानकारी दी। उसके पश्चात् श्रीमती सुचिता श्रीवास्तव, जिला रजिस्ट्रार सिवनी द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 61 में अंतर्विष्ट ” दस्तावेजों की अंर्तवस्तु का सबूत ‘ तथा प्राथमिक एवं द्वितीयक साक्ष्य के बारे में अधिवक्तागणों को विस्तृत जानकारी दी। साथ ही दस्वातवेजी एवं मौखिक साक्ष्य की ग्राहयता के बारे में जानकारी दी । सी के बारपेटे, अपर जिला न्यायाधीश / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिवनी द्वारा सिविल उपचारों में आधारभूत ज्ञान एवं निषेधाज्ञा के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की। सभी प्रशिक्षक न्यायाधीशों द्वारा अपने विषयों पर उद्बोधन के पश्चात् प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्मिलित पैनल अधिवक्ताओं के साथ ओपन इंटरएक्टिव सेशन भी रखा गया जिसमें पैनल अधिवक्तागणों द्वारा अपनी-अपनी समस्याओं के संबंध में प्रशिक्षक न्यायाधीशगणों के साथ चर्चा की गई तथा उनकी समस्याओं का निराकरण किया गया । उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 44 अधिवक्तागणों ने सम्मिलित होकर प्रशिक्षण प्राप्त किया।



