सिवनी। नगर के राशि लॉन में पू. ब्रम्हलीन गुरुदेव जी की स्मृति में 108 श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ एवं गणेश शिव विष्णु सूर्य एवं ललिता अर्चन महायज्ञ में बुधवार को ब्रह्मचारी शारदानंद जी महाराज का आगमन होगा और उनके आशीर्वचन भी प्राप्त होंगे । साथ ही आज कथा का विश्राम दिवस होगा। कल गुरुवार सुबह हवन महाप्रसाद वितरण के साथ संपन्न होगा।
मंगलवार को श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा वाचक हितेंद्र शास्त्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा के माध्यम से कृष्ण रुक्मणी विवाह का व्याख्यान किया। शिशुपाल जब विवाह के लिए द्वार पर आया तो कृष्ण ने रुक्मणी का हरण कर लिया। इसके बाद श्रीकृष्ण, शिशुपाल और रुक्मणी के बीच भयंकर युद्ध हुआ और इसमें द्वारकाधीश (कृष्ण) विजयी हुए। भगवान कृष्ण, देवी रुक्मणी को द्वारकाधीश ले आए और यहीं उनका विवाह हुआ। उन्होंने कहा कि रुक्मणी और भगवान कृष्ण का विवाह वास्तव में रुह और प्रभु का मिलन है, आत्मा का परमात्मा से मिलन है।
यहाँ 19 सितम्बर से कथा जारी है, कथा का समापन 26 सितम्बर को होगा। शास्त्री जी ने आगे कहा कि श्रीकृष्ण भक्ति कलयुग में सर्वश्रेष्ठ है। भगवान कृष्ण का नाम लेने से सबका उद्धार हो जाता है। श्रीमद् भागवत और श्री रामचरितमानस जीवन जीना सिखाती है। भगवान की लीलाओं का गुणगान करने और सुनने से व्यक्ति को परमानंद की प्राप्ति होती है।
व्यक्ति को काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को छोड़कर प्रभु की शरण में जाना चाहिए।
कथावाचक ने श्रीमद् भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी, श्रीकृष्ण- रुक्मणी के विवाह उत्सव की कथा का श्रवणपान करते हैं उनका वैवाहिक जीवन हमेशा सुख मय रहता है। उन्होंने कहा कि प्रेम में परमात्मा का वास होता है। प्रेम साधन और साध्य दोनों हैं लेकिन मोह में यह गुण नहीं पाया जाता है। हमें मोह का त्याग कर प्रेम की उत्कर्ष राह पर चलना चाहिए।
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