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15 Oct 2025, Wed

कक्षा चौथी की एकमात्र छात्रा पर प्रति माह डेढ़ लाख के दो शिक्षक

सरकारी स्कूल में पिछले 3 साल से एकमात्र छात्रा राजनंदनी का राज

सिवनी। सरकारी स्कूल में पढ़ाई, खेलकूद की उचित व्यवस्था बनाए रखने के लिए ना तो जनप्रतिनिधि,, समाजसेवी, शिक्षा मंत्री सजग दिख रहे हैं और ना ही सरकारी तंत्र के अफसर। आसपास के तीन से चार स्कूल ऐसे हैं, जहां सरकारी स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या कहीं एक है तो कहीं तीन है तो कहीं पांच है और खर्चा लाखों का। ऐसी स्थिति में इन तीनों स्कूलों के बच्चों को आसपास के किसी एक स्कूल में मर्ज करके शिक्षा की उचित व्यवस्थाएं बनाई जा सकती हैं लेकिन इस मामले में उचित कार्रवाई किए जाने को लेकर सभी ने मानों अपनी आंखें मूंद रखी हो।

जिले के एक सरकारी स्कूल में जहां चार कमरे हैं, एक बरामदा है। ऐसे स्कूल भवन में एक मात्र छात्रा ही पढ़ाई करने अपने गांव से आती है। स्कूल में ना उसकी कोई सहेली है और ना ही हाफ छुट्टी में खेलकूद करने कोई साथी विद्यार्थी है। कक्षा पहली से पांचवी तक के उक्त सरकारी स्कूल में कक्षा चौथी में अध्यनरत एक मात्र छात्रा को पढ़ने के लिए 70 हजार रुपए मासिक वेतन पाने वाले दो शिक्षक व 4 हजार मासिक वेतन की एक रसोईया भी है।

विकासखंड केवलारी अंतर्गत ग्राम पंचायत खैरा के अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला चाँवरमारा में कक्षा चौथी में एकमात्र छात्रा कुमारी राजनंदनी बरमैया ही पड़ती है। अपने गांव से वह अकेली स्कूल के लिए निकलती है और हाफ छुट्टी में अकेली ही खेलकूद करती है। व मध्यान्ह भोजन पर अकेले ही खाना खाती है। उक्त छात्रा को पढ़ने के लिए एक प्रधान पाठक व एक अन्य प्राथमिक शिक्षक मौजूद रहते हैं। वही समीप के रोशान स्कूल में मात्र 3 बच्चें पढ़ते हैं। समीप के दो अलग अलग स्कूल में कुल दर्ज संख्या 4 है और शिक्षक 4 हैं। 2 रसोइए। लाखों का खर्च। रोशान स्कूल में एक ही  यादव परिवार की 3 बच्ची ही पढ़ती है।

एक छात्रा पर प्रति माह डेढ़ लाख खर्च – गांव चाँवरमारा कि उक्त छात्रा जो वर्तमान में कक्षा चौथी की पढ़ाई करने आती है उक्त अकेली छात्रा को पढ़ाने के लिए प्रभारी प्रधान पाठक चमरू प्रसाद रजक व एक प्राथमिक शिक्षक संपत लाल मर्सकोले आते हैं। इन दोनों शिक्षकों का प्रति माह वेतन लगभग डेढ़ लाख बनता है, वही एक रसोईया को प्रति माह 4 हजार रुपए मिलता है। स्कूल भवन के रखरखाव के लिए राशि व लिखा पढ़ी मेंटेन के लिए रजिस्टर आदि की व्यवस्था भी करना पड़ता है।

पिछले तीन-चार साल से एक ही छात्रा का राज – स्कूल के शिक्षक ने बताया कि पिछले तीन-चार सालों से छात्रा राजनंदनी इस स्कूल की एकमात्र छात्रा है। अकेली छात्रा पढ़ाई के साथ अपने बीच कोई सहेली के साथ नहीं रहने पर कई बार मायूसी के साथ स्कूल में समय व्यतीत करती है। साथ ही छात्रा के साथ कोई बड़ी घटना घट जाए इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है। कई बार स्कूल में कुछ घंटे के लिए रसोईया भी नहीं रहती और अन्य काम से एक शिक्षक बाहर रहते हैं तो स्कूल में मात्र एक छात्रा और एक शिक्षक ही मौजूद रहते हैं।

स्कूल में मौजूद दो शिक्षक

गांव की आबादी 343 के आसपास- ग्रामवासियों ने बताया कि गांव चाँवरमारा की आबादी 343 है। यहां गांव में छोटे बच्चों की संख्या भी काम है ग्रामवासियों ने बताया कि गांव में लगभग 21 छोटे बच्चे हैं। साथ ही यहां प्राइवेट स्कूलों द्वारा संचालित बस भी गांव में आती हैं। जिसके चलते अभिभावक अपने बच्चों को आसपास के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। वही इस मामले में शिक्षकों ने बताया कि जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 10 या 10 से कम है। ऐसे स्कूलों को बंद कर वहां स्कूल में दर्ज विद्यार्थियों को आसपास की अन्य स्कूलों में दाखिला दिए जाने का प्रावधान बनाया गया है। वहीं आसपास के अन्य स्कूल जो चावरमारा स्कूल से लगे हुए हैं उनमें गांव रोशान व कंडीपार में भी छात्रों की संख्या काफी कम है। ऐसी स्थिति में इन स्कूलों को बंद कर यहां जो बच्चे दर्ज हैं। उन्हें आसपास की अन्य स्कूलों में दाखिला कराए जाने की मांग भी ग्रामीणों ने की है। इससे पूर्व भी माल्हनवाड़ा में संचालित स्कूल में छात्र संख्या कम होने पर 2 साल पहले यहां के विद्यार्थियों को अन्य स्कूलों में मर्ज किया गया तथा कंजई स्कूल में भी छात्र संख्या कम होने से इस स्कूल के विद्यार्थियों को भी मर्ज किया गया।

इस मामले में शिक्षा अधिकारी का कहना है कि 10 से कम बच्चे जहां हैं वहां के स्कूलों की जांच भी कराई जा चुकी है। जिला स्तर पर उच्च अधिकारी को अवगत कराया जा चुका है। कार्यवाही राज्य शिक्षा केंद्र को करना है। साथ ही शिक्षा विभाग के पोर्टल में सारी जानकारियां रहती हैं। इस मामले की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी व शिक्षा मंत्री तक को रहती है। इसके बावजूद भी ऐसे स्कूल अनेक है जहां दर्ज संख्या एक, दो, तीन के आसपास है। ऐसे स्कूलों को बंद कर वहां अध्ययन में छात्रों को अन्य दूसरे स्कूल में दाखिला कराए जाने की मांग भी ग्रामवासियों ने की है। इस मामले में ग्रामवासियों ने जनप्रतिनिधियों से भी मांग की है कि वे भी इस कर में अपना सहयोग करें।

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