चंचल मन को शांत करना है तो चंचल श्रीकृष्ण में लगाना पड़ेगा : ब्रह्मचारी श्री निर्विकल्प स्वरूप जी

सिवनी। स्मृति लान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के षष्ट दिवस में कथा व्यास ब्रह्मचारी श्री निर्विकल्प स्वरूप जी महाराज ने आज की कथा में बताया की ये मनुष्य का मन बहुत चंचल है तो जिस प्रकार कांटे से काँटा निकलता है हीरे से हीरा कटता है उसी प्रकार ये चंचल मन इसको शांत करना पदार्थ में लगाना पड़ेगा संसार के किसी पदार्थ में लगाओगे तो वो आपके बंधन का कारण बन जायेगा। मगर उसी चंचल मन चंचल श्री कृष्ण में लगा दोगे तो आपका चंचल मन शांत हो जायेगा। भगवान् जान बूझकर ऐंसी लीला करते हैं। कलियुग के प्राणी चंचल मन वाले रहेंगे तो ऐंसी नटखट लीला करो कि उनका मन इसी और आकृष्ट हो जाये, मुझसे उनका मन कहीं जाये ही नहीं, उनको जो सुख चाहिए मुझसे ही मिलना चाहिए।

साथ ही आज की कथा में ब्रह्मचारी श्री ब्रह्मविद्यानन्द जी पहुंचे एवं आपने आशीर्वाद देते हुए अपने आशीर्वचन देते हुए कहा कि जीवन में उन क्षणों को बहुत भाग्यशाली माना गया है, इस जीवन रूपी यात्रा में हम अध्यात्म की यात्रा करते हैं अध्यात्म की यात्रा क्या है जीवन को यात्रा कहा गया है जो कि जन्म से लेकर मरण तक की यात्रा है । अध्यात्म की यात्रा हमारे अंदर की यात्रा है जो कि अंत: करण के माध्यम से उस यात्रा को किया जाता है । हमारी अध्यात्म की यात्रा है वो हमें वास्तविक घर की प्राप्ति कराता है। और वास्तविक घर हमारा क्या है । भगवान्! जो शरणय है उनकी शरण हमें प्राप्त करना चाहिए ।

श्री शंकराचार्य जी का आगमन आज स्मृति लान सिवनी में
ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के प्रिय शिष्य ब्रह्मचारी श्री निर्विकल्प स्वरूप जी की चल रही श्रीमद् भागवत कथा में द्वारका शारदा पीठाधीश्वर् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती जी महाराज का आगमन आज शाम 4:30 बजे हो रहा है। जिसमें पूज्य महाराज श्री का आशीर्वचन होंगे जिसमें आप सभी धर्म प्रेमी बंधु पहुंचकर धर्म लाभ अर्जित करें। आयोजक ब्रजभूषण राममणि तिवारी।

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