प्रेमचंद का साहित्य भारतीय समाज का एलबम
सिवनी। हिन्दी और विश्व साहित्य के महान रचनाकार प्रेमचंद की 144 वीं जयंती पर पीएम काॅलेज ऑफ एक्सीलेंस में प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने प्रेमचंद को याद किया और उनकी प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किये।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रभारी प्राचार्य डॉ अरविंद चौरसिया ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने साहित्य में सामाजिक समस्याओं को उठाया । कहा कि प्रेमचंद का साहित्य आज भी प्रासंगिक है। प्रेमचंद के साहित्य भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ा है।
कार्यक्रम की संयोजक डाॅ सविता मसीह ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यास के पात्र अमर हैं। प्रेमचंद की अनूठी भाषा शैली ने उन्हें महान रचनाकार बनाया। डॉ. मसीह ने बताया कि उनके मार्गदर्शन में एक शोधार्थी ने प्रेमचंद पर अपना शोध कार्य किया है।
कार्यक्रम में वनस्पति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डाॅ सीमा भास्कर ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियाँ आज भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
विशेष वक्ता के रूप में प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य आज भी समाज के लिए प्रकाश स्तंभ है। प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से हमें अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दी है। कहा कि प्रेमच॔द का जन्म स्थान लमही साहित्य का तीर्थस्थान है। बताया कि हामिद, होरी, अलगू चौधरी, जुम्मन शेख जैसे काल्पनिक पात्र हमारे जीवन के बेहद करीब हैं। कॉलेज कके स्पोर्ट्स ऑफिसर के सी राउर ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य युवा पीढ़ी को पढ़ना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए जनभागीदारी शिक्षक अमितोष ने कहा कि प्रेमचंद भारत के स्वाधीनता आंदोलन के सच्चे सिपाही थे। प्रेमचंद का साहित्य भारतीय समाज का एल्बम है। प्रेमचंद की कहानियाँ हमारी पारिवारिक और सामाजिक समस्याओं को सुलझाने का माद्दा रखती हैं। कार्यक्रम को एल्युमनी शिव कुमार यादव और जन भागीदारी शिक्षिका छाया राय ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में बीए हिन्दी की छात्रा रक्षा राहंगडाले सहित अन्य छात्र छात्राओं ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपने विचार साझा किये।
कार्यक्रम में एडवोकेट मंगला शेन्डे, डाॅ टीपी सागर तथा अन्य शिक्षकों सहित बीए तथा एमए हिन्दी के विद्यार्थी मौजूद रहे। संयोजक डाॅ सविता मसीह ने आभार जताया।
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